देहरादून (कैलाश जोशी ‘अकेला’)। लोकतंत्र में लोक यानी जनता से बड़ा कोई नहीं। देहरादून के निकट मालदेवता में प्राकृतिक आपदा से मची तबाही के बाद वहां की पीड़ित जनता ने नेताओं और अधिकारियों को समझा दिया है कि यदि आप जनप्रतिनिधि हैं, आप बड़े अफसर हैं तो आपको जनता के दर्द को समझना होगा। महसूस करना होगा। अब जनता जाग चुकी है। नेता-अधिकारी जनता को गुमराह नहीं कर सकते।
आपको बता दें कि देहरादून के रायपुर के मालदेवता क्षेत्र में बुधवार देर रात हुई तेज बारिश से कई घरों और दुकानों में मलबा घुस गया। मलबे के कारण यातायात पूरे दिन प्रभावित रहा। इससे आसपास के कई गांवों का राजधानी से संपर्क कट गया। आपदा के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत काटी गई सड़क के मलबे को जिम्मेदार माना जा रहा है। मालदेवता जंक्शन के ऊपरी क्षेत्र में तेज बारिश के बाद पूरी सड़क पर मलबा फैल गया। सुबह कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने दिनभर के कार्यक्रम निरस्त कर दिए। स्टाफ के साथ वह मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। अपनी निगरानी में मलबा हटाने का काम करवाया। साथ ही प्रभावितों के लिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था भी की। यहां तक तो ठीक है। जनता मंत्री गणेश जोशी के कामकाज से खुश नजर आई, लेकिन वहां राहत और बचाव कार्य देरी से आरंभ हुआ, इससे लोग जबर्दस्त नराज थे। यूं कहें कि मंत्री जोशी के साथ मौके पर पहुंचे नेताओं-अधिकारियों को जनता ने रिमांड पर ले लिया और जमकर इलाज किया।
उत्तराखंड के सीनियर जर्नलिस्ट कैलाश जोशी अकेला कहते हैं कि मालदेवता के पीड़ित जनता की जागरूकता को देख यह प्रतीत हो रहा है कि अब नेताओं और अधिकारियों को इस भ्रम में रहने की जरूरत नहीं है जनता चुप बैठी रहेगी। जनता जाग चुकी है। उसे सब पता है कि कहां, क्या हो रहा है। मालदेवता के लोगों का गुस्सा लाजिमी है। तबाही का मंजर बता रहा है कि लोग यूं ही नराज नहीं हुए।
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