नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में लगी पाबंदियों को लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से इस्तीफा देने वाले केरल मूल के आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके खिलाफ एक आरोपपत्र दाखिल किया है। गोपीनाथन ने बताया कि पहले उन्हें दमन प्रशासन से एक फोन कॉल आया जिसमें आरोपपत्र को भेजने के लिए उनका पता पूछा गया। जब उन्होंने कहा कि उनके पास कोई स्थायी पता नहीं है और वे एक किराए के मकान में रहते हैं तब वह आरोपपत्र उन्हें ईमेल किया गया और उन्होंने आरोपपत्र मिलने की जानकारी दे दी। गोपीनाथन ने सरकार पर उत्पीड़न के विफल प्रयास का आरोप लगाया। इसके साथ ही गोपीनाथन ने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हुई झड़प पर निशाना साधते हुए कहा कि वह एक मुश्किल समय में गृहमंत्री अमित शाह को परेशान नहीं करना चाहते हैं।
गोपीनाथन ने कहा कि आईएएस सेवा से इस्तीफा देने के दो महीने बाद उन्हें विभागीय जांच के लिए ज्ञापन भेजा गया था। अब आरोपपत्र में जो आरोप लगाए गए हैं वे उस ज्ञापन से ही मिलते-जुलते हैं। उनके द्वारा ट्वीट की गई तस्वीरों के अनुसार, जो आरोप लगाए गए हैं वे दादर एवं नागर हवेली के कलेक्टर रहने के दौरान देरी करने और आदेश न मानने से जुड़े हैं। उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में मीडिया से बात कर सरकारी सेवाओं की गलत छवि पेश करने का भी आरोप शामिल है। इसके जवाब में उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आपके कामों ने ऐसी तस्वीर बनाई है न कि मेरे बयानों ने। इसके साथ ही गोपीनाथन ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों के संबंध में एक विस्तृत जवाब ट्वीट किया। पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि उनसे कहा गया है कि वे किसी राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल न करें। इसके जवाब में उन्होंने पूछा कि अमित शाह के अलावा गृह मंत्रालय पर राजनीतिक दबाव बनाने में और कौन सक्षम हो सकता है। अब अगर मैं उन्हें प्रभावित कर सकता हूं तो मैं एक कोशिश करता हूं। सर, कृपया कश्मीर में मानवाधिकारों को बहाल कर दीजिए।
अपने ऊपर लगाए एक आरोपों की एक सूची को ट्वीट करते हुए गोपीनाथन ने कहा कि कोई आश्चर्य नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कथित तौर पर अपनी सरकार का पांच साल का कार्यकाल बर्बाद करने के लिए नौकरशाहों से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि पांच साल के नेतृत्व के बाद कोई भी उम्मीद करेगा कि आप धमकी देने और प्रताड़ित करने में महारत हासिल कर चुके होंगे। इससे पहले सितंबर महीने में गोपीनाथन को सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) की जयकर नॉलेज रिसोर्स सेंटर (जेकेआरसी) लाइब्रेरी में जाने से रोक दिया गया था जबकि कॉलेज के छात्र चाहते थे वे वहां आएं। बता दें कि पिछले महीने कन्नन गोपीनाथन ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 के बाद लगे प्रतिबंधों पर यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वे ऐसी स्थिति में काम नहीं कर सकते हैं जहां लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता का दमन करने के लिए नौकरशाही का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक तरह से अघोषित अपातकाल है। गोपीनाथन ने कहा था कि यह यमन नहीं है, यह 1970 के दशक का दौर नहीं है जिसमें आप पूरी जनता को मूल अधिकार देने से इनकार कर देंगे और कोई कुछ नहीं कहेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि एक पूरे क्षेत्र में सभी तरह के प्रतिबंधों को लगाकर उसे पूरी तरह से बंद किए हुए पूरे 20 दिन हो चुके हैं। मैं इस पर चुप नहीं बैठ सकता हूं चाहे खुलकर बोलने की आजादी के लिए मुझे आईएएस से ही इस्तीफा क्यों न देना पड़े और मैं वही करने जा रहा हूं।
साभार द वॉयर
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।