

भुवनेश्वर। भुवनेश्वर-कटक राजमार्ग सं.5, हंसपाल के नजदीक कुआखाई नहरकंटा छठ घाट पर चार दिवसीय छठ महापर्व के चौथे और अंतिम दिन रविवार को भोर में व्रतधारियों द्वारा भगवान सूर्यदेव और उनकी बहन छठ परमेश्वरी के भोर के अंतिम अर्घ्य के साथ संपन्न हो गया लोक आस्था और विश्वास का महापर्व छठ। छठ घाट पर उपस्थित सभी ने ठेकुआ प्रसाद ग्रहण किया जो हर प्रकार से आरोग्य, मनोवांछित इच्छा की पूर्ति करने वाला प्रसाद होता है। हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने छठ प्रसाद ग्रहण किया। प्रकृति के खुले वातावरण में भोर में संपन्न यह महापर्व आयोजकों के सामूहिक दायित्यबोध को स्पष्ट किया। इस अवसर पर अनेक स्थानीय लोगों ने भी सुबह में भगवान सूर्यदेव और उनकी बहन छठ परमेश्वरी को दुग्ध और पवित्र जल से अर्घ्य दिया। गौरतलब है कि त्रैता युग से आरंभ यह महापर्व छठ आज पूरे भारत समेत विदेशों में भी लोक आस्था के रुप में मनाया जाता है। 1999 से कुआखाई नदी तट पर आरंभ सामूहिक छठ महापर्व गत तीन नवंबर को शाम में भगवान सूर्यदेव और उनकी बहन छठ परेमेश्वरी को पहले अर्घ्य तथा रविवार को भोर के अर्घ्य के साथ संपन्न हो गया। आयोजकों में पी के अमर, चन्द्रशेखर सिंह, संजय झा, अजय बहादुर सिंह, विद्या मिश्रा, देवाशंकर त्रिपाठी, राजकुमार, किसलय कुमार, अनिल सिंह, शंकर यादव, गणेश वर्मा, पुष्कर ठाकुर, चन्द्र भूषण सिंह, विजय साहु, अरुण गिरि, रामबाबू, अशोक भगत, पी के चैधरी, अभिषेक मिश्रा, हरेराम सिंह, हर्षवर्द्धन भारद्वाज, नृपेन्द्र चैधरी, मुकेश झा, आनन्द मोहन, शंकर वैद्य आदि का सहयोग उल्लेखनीय रहा। दिन के 12.00 बजे से लेकर सायंकाल 5.00 बजे तक आयोजक चन्द्रशेखर सिंह सपरिवार मिलकर छठ प्रसाद के पैकेट तैयार कर उसका वितरण कराये।
प्रस्तुति : अशोक पाण्डेय
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