पेरिस। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने औपचारिकता और पारंपरिक तरीके से पूजा के बाद भारतीय वायुसेना के पहले राफेल विमान को दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस के दसॉल्ट एविएशन के मेरिगनिक से रिसीव किया। विमान को औपचारिकता कर लेने से पहले उन्हें इसे ऐतिहासिक दिन बताया। रक्षामंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी में 59 हजार करोड़ के लड़ाकू विमान सौदा एक मील का पत्थर है और दोनों के बीच रक्षा सहयोग नई ऊंचाई पर है। फ्रांस की तरफ से कुछ 36 राफेल विमान भारत को दिया जाना है। दसॉ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने बाडोर्-मेरिगनेक एयर बेस पर राजनाथ सिंह का स्वागत किया। राजनाथ सिंह पेरिस से यहां फ्रांसीसी सैन्य विमान से आए थे। उन्होंने ट्रैपियर और फ्रांस के अधिकारियों की अगुवाई में दसॉ एविएशन के संयंत्र का दौरा किया।
विमान को सुपूर्द करने से पहले राजनाथ सिंह को विमान विर्निमाता के इतिहास पर एक संक्षिप्त आॅडियो-वीडियो क्लिप दिखाई गई। उनके फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्लेर विमान को सुपूर्द करने के कार्यक्रम में मौजूद रहे। उन्होंने कहा, पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक्स शिराक ने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर रणनीतिक साझेदारी के लिए मूल आधार तैयार किया था। हम उनके आभारी हैं। आज का दिन भारत और फ्रांस के लिए मील का पत्थर और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की नई ऊंचाई का दिन है। विमान रिसीव करने के बाद राजनाथ सिंह ने पारंपरिक शस्त्र पूजा की। उसके बाद उन्होंने राफेल विमान पर फ्रांस के मेरीनेक एयरबेस से दसॉ एविएशन के चीफ पायलट के साथ दो सीट वाले इस उड़ान भरी। भारत ने विमान को प्राप्त करने के लिए 8 अक्टूबर का दिन सिर्फ दशहरा की वजह से नहीं, बल्कि 8 अक्टूबर के दिन हर वर्ष मनाए जाने वाले वायुसेना दिवस की वजह से चुना। दशहरा हिंदू परंपरा के अनुसार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और सदियों से दशहरा उत्सव के दौरान शस्त्र पूजा की परंपरा रही है। पहले लड़ाकू विमान का नंबर आरबी 001 है।
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।