भुवनेश्वर। उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय में हिन्दी विद्वान डा शंकरलाल पुरोहित की अध्यक्षता में शरद पूर्णिमा की संध्या पर हिन्दी कविता पाठ आयोजित किया गया जिसमें कवि किशन खण्डेलवाल, कवयित्री रश्मि धवन, निधि गर्ग, अनूप अग्रवाल, गौरव सिन्हा, डा आर एस ठाकुर, रश्मि गुप्ता और किरण ठाकुर आदि ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया। पुस्तकालय के संगठन सचिव अशोक पाण्डेय ने आरंभिक जानकरी के तहत बताया कि आज कार्तिक मास की शदर पूर्णिमा की पावन संध्या है। कार्तिक मास भारतीय हिन्दू कलेण्डर के आधार सबसे पवित्रतम मास माना जाता है जिसका प्रत्येक दिवस पावन और फलदायी होता है। ऐसे में आज का दिन पुस्तकालय के सभी सदस्यों तथा आज के कवितापाठ करने वाले सभी कवि-कवयित्रयों के लिए संकल्प दिवस मनाने की शाम है। विदित हो कि पूरे विश्व में सकारात्मक सोच रखनेवाले लोगों की कुल संख्या लगभग चार प्रतिशत ही है। ऐसे में हमसब जबतक अपनी सोच सकारात्मक नहीं बनाएंगे तब तक न तो हम अपना विकास कर सकते हैं और न ही अपने समाज और न ही अपने राष्ट्र का। आज की रात में जो भी भगवान की आराधना करके जो कुछ भी उनसे मांगता है उसकी मनोकामना वे अवश्य पूरी करते हैं। शरद पूर्णिमा का सनातनी महत्त्व है। पुस्तकालय के मुख्य संरक्षक सुभाष भुरा ने कहा कि कविता का अटूट संबंध और लगाव प्रकृति के अवलोकन से होता है। उसी से कविता सृजन की प्रेरणा मिलती है। इसीलिए वे ओडिशा के सतपाड़ा जैसे अनेक प्राकृतिक स्थलों का दौरा हाल ही में किये हैं और पुस्तकालय परिवार से जुड़े कवियों को भी उन स्थलों को देखना का वे निवेदन करते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य की कविताओं की रचना धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है। उसे बचाने की आवश्यकता है। उनके अनुसार विदेशों में देखने के लिए सुंदर-सुंदर बहुमंजिली बिंल्डिंगें हैं लेकिन भारत की प्राकृतिक सुषमाओं का कोई जवाब नहीं हैं। समारोह की अध्यक्षता कर रहे हिन्दी विद्वान डा शंकरलाल पुरोहित ने कवियों के कविता पाठ पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए पुस्तकालय परिवार के लिए उसे अच्छा संकेत बताया जिसमें पुरानी और तुकबंदी की कविताओं की जगह सृजनशीलता आज उन्हें सुनने को मिली। इस अवसर पर सन्मार्ग ओडिशा के प्रबंध सम्पादक डा लक्ष्मीनारायण अग्रवाल को उनके सन्मार्ग ओडिशा के प्रकाशन में नवाचार विधि अपनाने हेतु सम्मानित किया गया। मौके पर राकेश गर्ग, कल्पना सिंह, सौविक कुण्डु, वैष्णवी ठाकुर, शिवकुमार शर्मा, शुभेंदु दास, विनोद महंती, पुष्कर ठाकुर और सुशील धवन आदि उपस्थित होकर हिन्दी कवितावाचन का आनन्द उठाये।
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