भुवनेश्वर। हिन्दी हास्य-व्यंग्य कवि सम्मेलन का आनन्द उठाने का मौका स्थानीय सरकारी बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के लोगों के साथ-साथ यहां के हिन्दी प्रेमियों को भी मिला। आयोजन का उद्देश्य जो भी रहा हो, लेकिन आयोजन का एक पक्ष तो बिल्कुल स्पष्ट रहा कि जबतक पगडण्डी का सम्मान राजपथ नहीं करेगा तबतक भारत विकासशील से विकसित बन ही नहीं सकता है। सन्मार्ग ओडिशा के पाठक इसको अमिधा, लक्षणा और व्यंजना जिस रुप लेना चाहें, ले सकते हैं। ओडिया कवि पद्मश्री हलधर नाग हों अथवा पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा, कवियों की कलम में इतनी ताकत होती है कि वह राष्ट्र की युवा शक्ति के शक्तिबोध तथा सौंदर्यबोध को अवश्य जगा सकती है। अपनी कविताओं के माध्यम से भारतप्रेम और राष्ट्रप्रेम अवश्य जगा सकता है। प्रत्यक्ष उदाहरण हिन्दी कवि चन्दबरदाई रहे हैं। आयोजित कवि सम्मेलन में पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा, अरुण जैमिनी, चिराग जैन, अशोक चारण और कवयित्री मनीषा शुक्ला की कविताओं को सुनकर तो ऐसा लगा कि हिन्दी न केवल भारत की विचार-विनय की सबसे लोकप्रिय और सबसे सशक्त जनसम्पर्क की भाषा है अपितु हिन्दी कविता साहित्य जगत में प्रयुक्त अलग-अलग 9 रसों के प्रयोग से हिन्दी भारत के माथे की बिंदिया बन चुकी है। यह हमारे भारतीय अस्मिता की वास्तविक पहचान बन चुकी है। आज भौतिकता के युग में जहां चारों तरफ नकारात्मकता का साम्राज्य है,मानसिक तनवान का माहौल है और जहां पर अनेकानेक परेशानियां हैं, ऐसे में आयोजित हिन्दी कविसम्मेलन भुवनेश्वरवासियों के जीवन में आनन्दमय जीवन जीने का पावन संदेश अवश्य ही प्रदान किया। कवयित्री मनीषा शुक्ला की प्रेम पर आधारित कविता,विराग जैन की प्रस्तुत तिरंगा कविता,अरुण जैमिनी की हास्य-व्यंग्य पर आधारित भारत-पाक संबंधों पर आधारित कविता और पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा की सुबह न उठनेवाले और न टहलनेवालों पर प्रस्तुत हास्य-व्यंग्य कविताएं आदि एक ही संदेश प्रदान कीं वह है -स्वप्रेम का संदेश,मानवप्रेम और देशप्रेम का संदेश। लगभग ढाई घण्टे तक चले कविता पाठ के दौरान अनुशासित श्रोताओं ने अपने हिन्दी प्रेम को स्पष्ट कर दिया वहीं हिन्दी कविता का श्रोताओं ने भरपूर आनन्द उठाया। भुवनेश्वर का आईएमएमटी आॅडिटोरियम,आरआरएल कैम्पस, आचार्य विहार भुवनेश्वर आज भी प्रत्यक्ष प्रमाण रहा है जब अस्सी के दशक में वहां पर अखिल भारतीय वैज्ञानिक संगोष्ठी विज्ञान जन-जन के लिए का सफल आयोजन हुआ था। उसी प्रेक्षालय में आयोजित वर्ष 2019 का हिन्दी कविसम्मेलन का संदेश भुवनेश्वरवासियों के दिल में हिन्दी चेतना को निश्चित रुप से बढ़ावा देनेवाला सिद्ध हुआ। यहीं नहीं राष्ट्रपिता बापू की 150वीं जयती के उपलक्ष्य में 02अक्तूबर से 06अक्तूबर तक भुवनेश्वर कीट में आयोजित 39वें विश्व कवि कांग्रेस के सफल आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि ओडिशा भी कविता के माध्यम से देशप्रेम और विश्वप्रेम की भावना को जाग्रत करने में आगे है। यह अब निर्विवादरुप से स्पष्ट हो चुका है कि ओडिया साहित्य और हिन्दी साहित्य का विकास साथ-साथ चलेगा। दोनों राजभाषाओं की श्रीवृद्धि परस्पर एक-दूसरी भाषा में अनुवाद को बढ़ावा देकर होगी। प्रस्तुति : अशोक पाण्डेय
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