पटना। बिहार में बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में मरने वालों की संख्या गुरुवार को 73 तक पहुंच गई है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि राहत और बचाव कार्यों में जुटी टीम ने कई जगहों पर पानी से भरे इलाकों से सड़ रही लाशों को निकाला। 27 से 30 सितंबर के बीच हुई मूसलाधार बारिश ने राज्य की राजधानी सहित राज्य के 15 जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी है। राज्य के आपदा प्रबंधन ने कहा कि हम भारी बारिश की वजह से होने वाले जानमाल के नुकसान पर नजर बनाए हुए हैं। हालांकि विभाग जिलेवार सूचना देने में असमर्थ है। भागलपुर में जिला प्रशासन ने 12 लोगों के हताहत होने की पुष्टि की है। पटना शहर के कई हिस्सों में भी आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जिला प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ मिलकर भोजन की व्यवस्था करने में जुटा है। फंसे नागरिकों के लिए पीने का पानी और दवाई की भी व्यवस्था की जा रही है।
कंकर बाग, राजेंद्र नगर और पाटलिपुत्र इलाके में बैंक, दुकानें, निजी अस्पताल और कोचिंग संस्थान सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और एक सप्ताह से बंद है। कई इलाकों में राहत-बचाव टीम ने जल जमाव से मुक्ति भी दिलाई है। छत्तीसगढ़ से अधिक क्षमता वाले पंपों को मंगाया गया है ताकि पानी को अधिक गति से बाहर निकाला जा सके। पटना जिला प्रशासन द्वारा स्थापित व्हाट्सएप पर बहुत सारी शिकायतें भी आ रही हैं कि राहत-बचाव का कार्य बहुत धीरे हो रहा है। भाजपा सांसद राम कृपाल यादव, जिन्होंने बुधवार की रात पटना के ग्रामीण इलाके में जल-जमाव क्षेत्र में पहुंचने की कोशिश करते हुए उथली नदी में गिर गए थे, उन्होंने गुरुवार को शहर प्रशासन पर अपने पाटलिपुत्र निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों की उपेक्षा का भी आरोप लगाया। 1980 के दशक में डिप्टी मेयर रह चुके यादव ने कहा, ऐसा लगता है कि पटना प्रशासन सिर्फ कंकरबाग और राजेंद्र नगर पर ध्यान केंद्रित किए हुए है। दानापुर में जल-जमाव हो गया है लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगती।
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