संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत और पाकिस्तान, दोनों से स्थितियों के बिगड़ने की आशंका को टालने के मकसद से वार्ता के जरिए कश्मीर मुद्दा सुलझाने की अपील की है। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में दोनों देशों का विवाद चल रहा है।
जिनेवा में मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 42वें सत्र में भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने को अपना संप्रभु निर्णय बताया। हालांकि पाकिस्तान ने इसे एक गैरकानूनी कृत्य करार देते हुए विश्व मानवाधिकार निकाय से इस मामले की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की है। विदेश मंत्रालय में पूर्वी मामलों की सचिव विजय ठाकुर सिंह ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान के आरोपों को खारिज किया। सिंह ने कहा कि अन्य कानूनों की तरह यह एक संप्रभु निर्णय है, जो पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है। कोई भी देश अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप स्वीकार नहीं कर सकता है तथा भारत तो बिल्कुल भी नहीं।
उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार के खिलाफ प्रहार किया और राज्य द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की भर्त्सना की। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार को होने वाले नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गुतारेस ने भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों के नेताओं से बात की थी। गुतारेस ने पिछले महीने फ्रांस के बिआरित्ज में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से भी उन्होंने बात की थी। सोमवार को गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी द्वारा कश्मीर मुद्दे पर किए गए आग्रह के कारण उनसे भी मुलाकात की थी।
दुजारिक ने कहा कि सार्वजनिक और निजी तौर पर सबके लिए उनका एक ही संदेश है कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी स्थितियों के बिगड़ने की आशंका को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने दोनों देशों से वार्ता के जरिए मुद्दा सुलझाने की अपील की है। दुजारिक इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या गुतारेस की इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की योजना। महासभा में मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दोनों शिरकत करेंगे। दुजारिक ने कहा कि आप रुख जानते हैं...सैद्धांतिक तौर पर मध्यस्थता पर हमारा रूख सदैव से एक समान रहा है।
उनका बयान ऐसे वक्त आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 42 वें सत्र में जबरदस्त नोकझोंक हुई। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा है कि उनका कार्यालय केवल तब उपलब्ध होगा जब दोनों पक्ष इस बारे में कहेंगे। हालांकि, भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से साफ कर दिया है कि कश्मीर एक आंतरिक मामला है और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं है। दुजारिक ने कहा कि और जैसा मानवाधिकार उच्चायुक्त ने हाल में कहा था कि मानवाधिकार के पूर्ण सम्मान के साथ ही कश्मीर की स्थिति का समाधान किया जा सकता है। यूनएचआरसी के 42वें सत्र में पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी के बयान पर जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए विदेश मंत्रालय में प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने कहा कि अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का अस्थायी प्रावधान था ।
उन्होंने कहा कि हम इस मंच (यूएनएचआरसी) का राजनीतिकरण और ध्रुवीकरण करने के इरादे से पाकिस्तान की ओर से दिए गलत आख्यान और सनकपन भरे बयान पर आश्चर्यचिकत नहीं हैं। हमारे फैसले से पाकिस्तान को एहसास है कि सीमा पार आतंकवाद प्रयोजित कर बाधा उत्पन करने की कोशिशों में उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई है। इससे पहले, पाकिस्तान ने कश्मीर में स्थिति पर मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की और कहा कि भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद के हालात पर विश्व मानवाधिकार संस्था को उदासीन नहीं रहना चाहिए।
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