नई दिल्ली। आज की दुनियां मोबाइल और गूगल में मानो कैद सी हो गयी है जबकि हमारी नजरों के सामने ऐसे ऐसे किरदार होते है जो आपको पूरी कहानी दे जाते हैं। बशर्ते हमारे आंख और कान खुले हों क्योंकि ज्यादातर फिल्मों में हम उन्हीं किरदारों को लेते हं,ै जो हमारे आसपास घूमते फिरते हैं न की गूगल से। कंप्यूटर हमे जानकारी तो दे सकता है लेकिन वो उन किरदार को क्रिएट नहीं कर सकता जो आपको आसपास नजर आते हंै। जैसा की हेराफेरी का किरदार लिखते हुए मुझे उन्हीं के सेक्रेटरी का ख्याल आया और मैंने परेश रावल से कहा की आप अपने सेक्रेटरी को ध्यान से देखे क्योंकि अगला किरदार आपका यही है यह कहना था ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल के अंतिम दिन स्क्रीनप्ले राइटर आनंद एस. वर्धन का जिन्होंने हेरा फेरी, आवारा पागल दीवाना, खिलाडियों का खिलाड़ी जैसी कई मनोरंजक फिल्में की है।
इस अवसर पर रवाडा के उच्चायुक्त अर्नेस्ट रवामुको, पनामा के मिशन दूतावास के उपप्रमुख रिकार्डो ए ब्रना, उज्बेकिस्तान के मिशन दूतावास के उपप्रमुख अजामोंन मंसूरोव, लेखिका कुमकुम चड्ढा, सीनियर लॉयर अनूप बॉस और प्रसिद्ध लेखक गंगा प्रसाद विमल उपस्थित हुए। इस अवसर पर संदीप मारवाह ने सभी छात्रों को संबोधित करते हुए कहा की यह लोग जो मंच पर बैठे है इनके अंदर ज्ञान रुपी गंगा बह रही है। अब इनसे जो ले सकते हो ले लो क्योंकि यह तुम्हारा सीखने का टाइम है और न सिर्फ सुनो उसे समझो भी, मुझे बड़ी खुशी है की छात्रों ने तीन दिवसीय इस फेस्टिवल में बढ़चढ़कर भाग लिया और कार्यक्रम को सफल बनाया।
अजामोंन मंसूरोव ने कहा की भारत और उज्बेकिस्तान के साहित्य के शब्द मिलते जुलते है और हमारे देश में अब भारत की कई युनिवर्सिटी खुल गयी है, साहित्य के बारे में मैं यह कहना चाहता हूं कि फिल्म और साहित्य किन्हीं दो देशो को जोड़ने का बहुत अच्छा साधन है। रिकार्डो ए ब्रना ने कहा कि कविता और साहित्य कभी आप रटकर नहीं लिख सकते और न कोई स्कूल आपको यह सब सीखा सकता है यह सब आपके सोल में होता है जिसे आप शब्दों का रूप दे देते हंै। अर्नेस्ट रवामुको ने कहा कि एबिलिटी हमारे अंदर की गहराईयों में छिपी होती है बस हमें उसे निकालना आना चाहिए। इस अवसर पर लेखिका कुमकुम चड्ढा की पुस्तक 'द मैरीगोल्ड स्टोरी' का विमोचन किया गया, साथ ही प्रसिद्ध लेखक गंगा प्रसाद विमल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया।
प्रस्तुति : मुमताज
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।