नई दिल्ली। देश आर्थिक मंदी का असर दिखाई दे रहा है। इसे लेकर मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। अब जीडीपी में गिरावट को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चिंता जाहिर करते हुए सरकार पर निशाना साधा है। उन्होने कहा कि आज अर्थव्यवस्था की हालत काफी चिंताजनक है। भारत इस रास्ते पर लगातार चलने का जोखिम नहीं उठा सकता। भारत के अंदर तेज गति से चलने की क्षमता है।
खराब अर्थव्यवस्था को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा की गई टिप्पणी पर वित्त मंत्री ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। चेन्नई में रविवार को एक कार्यक्रम में पत्रकारों ने वित्त मंत्री से पूछा कि मनमोहन सिंह के आरोपों पर उनका क्या कहना है। इसके जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा कि कि उन्होंने जो कहा कि उस पर मेरा कोई विचार नहीं है। उन्होंने जो कहा है मैंने भी उसे सुना है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि क्या डॉ. मनमोहन सिंह कह रहे हैं कि राजनीतिक प्रतिशोध में शामिल होने के बजाय उन्हें चुप्पी साधे लोगों से सलाह लेनी चाहिए? क्या उन्होंने ऐसा कहा है? ठीक है, धन्यवाद, मैं इस पर उनकी बात सुनूंगी। यही मेरा जवाब है।
अर्थव्यवस्था की हालत को बहुत चिंताजनक बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को सरकार से अनुरोध किया कि वह बदले की राजनीति को छोड़े और अर्थव्यवस्था को मानव-रचित संकट से बाहर निकलने के लिए सही सोच-समझ वाले लोगों से संपर्क करे। उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी में जल्दबाजी को मानव रचित संकट बताया है। कांग्रेस नेता का कहना है कि यह आर्थिक नरमी मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन की वजह से है। उन्होंने एक बयान में कहा कि वर्तमान में अर्थव्यवस्था की हालत बहुत चिंताजनक है। पिछली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि मात्र पांच प्रतिशत तक सीमित रहना नरमी के लम्बे समय तक बने रहने का संकेत है। भारत में तेजी से वृद्धि की संभावनाएं हैं लेकिन मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन के कारण यह नरमी आयी है।
सिंह ने कहा कि देश के युवा वर्ग, किसान, खेतीहर मजदूर, उद्यमी और वंचित तबके को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत इस रास्ते और आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह बदले की राजनीति बंद करें और अर्थव्यवस्था को इस मानवरचित संकट से बाहर निकालने के लिए सही सोच-समझ के लोगों से सलाह ले। सिंह ने कहा कि खास तौर से विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर का केवल 0.6 प्रतिशत रहना बिशेष रूप से चिंताजनक है। पूर्व प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि संस्थाओं को बर्बाद किया जा रहा है और उनकी स्वायत्तता छीनी जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक से सरकारद्वारा 1.76 लाख करोड़ रुपये लिए जाने पर मनमोहन सिंह ने कहा कि इतनी बड़ी राशि सरकार को देने के बाद यह किसी भी मुश्किल से निकल पाने की आरबीआई की क्षमता की परीक्षा भी होगी। सिंह ने कहा कि कर से प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि अभी भी बहुत कम है। कर संग्रह में उछाल की जो उम्मीद थी वह नजर नहीं आ रही है, कारोबारी, चाहे छोटे हों या बड़े... उन्हें परेशान किया जा रहा है, कर आतंकवाद में कमी नहीं आयी है। निवेशकों का उत्साह डांवाडोल है। इस आधार पर तो आर्थिक नरमी से उबरना संभव नहीं लगता।
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