लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि आज रामपुर में भाजपा सरकार के इशारे पर प्रशासन ने समाजवादी पार्टी के शांतिप्रिय प्रदर्शन को रोकने के लिए जो अलोकतांत्रिक रवैया अपनाया है, वह सर्वथा निंदनीय है। वहां नागरिक अधिकारों को कुचला गया है। रामपुर को पूरी छावनी बनाकर दहशत का माहौल बनाने के लिए विधायक अब्दुल्ला आजम को घर से निकलते ही हिरासत में ले लिया गया। रामपुर की सीमाओं को सील कर दिया गया। पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव, सांसद एसटी हसन तथा विधायक हाजी इकराम कुरैशी सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को पुलिस ने अवैध ढंग से रामपुर आने से रोका और गिरफ्तार कर लोकतंत्र की हत्या की है।
पुलिस के आतंक के बावजूद समाजवादी कार्यकर्ता फिर भी बड़ी संख्या में लखनऊ से रामपुर पहुंच गए। विधायक अब्दुल्ला आजम के साथ प्रदर्शन में शामिल लीलावती कुशवाहा एमएलसी, युवा नेता मोहम्मद एबाद, बृजेश यादव तथा दिग्विजय सिंह देव सहित हजारों लोग गिरफ्तार किये गए। यादव ने कहा कि सांसद मोहम्मद आजम खां को फर्जी केसो में बदले की भावना से फंसाकर उनको बदनाम करने की साजिश हो रही है। उनके द्वारा स्थापित मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को बर्बाद करने का काम हो रहा है। विधायक अब्दुल्ला आजम को भी उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है। किताब चोरी की बात रागद्वेष से प्रेरित बचकानी हरकत है। उन्होंने कहा कि सरकार जो आरोप लगा रही है उसकी जांच और जौहर विश्वविद्यालय के हालात का जायजा लेने तथा अब्दुल्ला आजम से मिलने के लिए 6 जनपदों-सम्भल, पीलीभीत, मुरादाबाद, बरेली, बिजनौर और बदायूं के जनप्रतिनिधि रामपुर जा रहे थे, जिन्हें अवैधानिक ढंग से रोका गया है। यह नागरिक अधिकारों पर कुठाराघात है।
अखिलेश यादव ने उन्नाव की रेप पीड़िता के सम्बंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का स्वागत करते हुए कहा कि उन्नाव से भाजपा के आरोपित विधायक को प्रदेश के बाहर जेल में स्थानांतरित करना चाहिए ताकि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच हो सके। उन्नाव की रेप पीड़िता के साथ न्याय होना चाहिए। यादव ने कहा कि भाजपा ने अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में अपराधियों को प्रश्रय दिया इससे अपराध की घटनाएं बढ़ी है। बच्चियां स्कूल जाने से डरती हैं। उत्तर प्रदेश की बदनामी दुनिया भर में हो गई है। भाजपा राज में कानून की धज्जियां उड़ा दी गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य में कोई दिन नहीं जाता जब अपहरण, लूट, बलात्कार, हत्या की दु:खद खब़र न आती हो। लोकतंत्र में अब इससे बुरे दिन कभी नहीं आ सकते।
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