भुवनेश्वर। कीट इण्टरनेशनल स्कूल में भारत के प्रथम वैदिक मेमोरी लैब का उद्घाटन नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेन्द्र बहादुर चांद ने किया। इस अवसर पर कीट-कीस की अध्यक्ष शाश्वती बल, कीट इण्टरनेशल स्कूल की चेयरपर्सन डा मोनालिसा बल, प्रख्यात वैदिक मेमोरी प्रशिक्षक वीरेंद्र मेहता और स्कूल के प्राचार्य डा संजय सुआर आदि उपस्थित थे। अपने संबोधन में लोकेंद्र बहादुर चांद ने कहा कि वैदिक युग में कुछ भी लिखित नहीं था जो कुछ भी था वह सुनकर प्राप्त जानकारियां ही थीं जिन्हें श्रुतियां कहते हैं। वे आज भी वैदिक रुप से मान्य हैं। वैदिक काल में महत्त्व उन्हीं श्रुतियों का रहा। उन्होंने बताया कि आज कीट इण्टरनेशनल स्कूल में भारत के प्रथम वैदिक मेमोरी लैब का उद्घाटन कर उन्हें बहुत अच्छा अनुभव हो रहा है। उनके अनुसार आज के युग में परफेक्ट मैन और परफेक्ट सोसाइटी की सख्त जरुरत है जो इस तकनीकी लैब द्वारा संभव हो पाएगा। उनके अनुसार वैदिक मेमोरी तकनीकी लगभग हजार वर्ष पुरानी तकनीक है जो आज के लिए भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि श्रीमार्ग न्यास द्वारा आरंभ किये गये वैदिक मेमोरी लैब के प्रथम मास्टर प्रशिक्षक परमपाद स्वामी दिव्यानन्दजी महाराज रहे हैं जिनके एक अनन्य अनुयायी वीरेंद्र मेहता आज इस समारोह में आमंत्रित विशिष्ट मेहमान के रुप में उपस्थित हैं। यह बहुत प्रसन्नता की बात है। उनके अनुसार 21वीं सदी में इस वैदिक मेमोरी लैब की आवश्यकता यहां के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अति आवश्यक है। लैब में प्रतिदिन आयोजित हानेवाले श्रीविद्या ध्यान का भी विशेष प्रभाव इस स्कूल के बच्चों के मन-मस्तिष्क पर पड़ेगा। इससे उनका माइन्ड पावर बढ़ेगा। उनकी आर्ट आफ विज्यूवलाइजेशन बढ़ेगी। बच्चे अपने अन्तरनिहित अपार शक्ति को पहचान पाएंगे। यह वैदिक मेमोरी लैब निसंदेह रुप में बच्चों के सशक्तिकरण की दिशा में उपयोगी सिद्ध होगा। कीट-कीस परम्परा के तहत उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चांद और आमंत्रित विशिष्ट अतिथि वीरेंद्र मेहता आदि का स्वागत-सम्मान पुष्पगुच्छ,अंगवस्त्र और स्मृतिचिह्न आदि भेंटकर किया गया। आयोजन चिरस्मरणीय रहा। प्रस्तुति : अशोक पाण्डेय
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