द हेग। कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान को फिर से करारा झटका लगा है। इस मामले में नीदरलैंड्स की हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फांसी पर रोक जारी रखते हुए पाकिस्तान से इस पर फिर से विचार करने को कहा है। जजों ने निर्विरोध माना है इस मामले में भारत का हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाना सही है और ये मामला अदालत के अधिकार क्षेत्र में आता है। अदालत के 16 न्यायाधीशों में 15 ने भारत का साथ देते हुए पाकिस्तान के इस पर विरोध को खारिज कर दिया है। केवल पाकिस्तान के एडहॉक जज जिलानी ने अपना विरोध जताया।
अदालत ने पाकिस्तान की ज्यादातर आपत्तियों को बहुमत से खारिज कर दिया है। हालांकि जजों ने भारत की कुलभूषण जाधव को दोषी ठहराने वाले फैसले को रद करने, उन्हें रिहा करने और उन्हें स्वदेश भेजने की मांग को ठुकरा दिया है। अदालत ने ये भी माना है कि कुलभूषण जाधव को इतने दिनों तक कानूनी सहायता नहीं देकर पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है। अदालत ने पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को सुनाई गई मौत की सजा पर फिर से विचार और सजा की समीक्षा करने को कहा। मोटे तौर पर भारत की अधिकांश बातों से हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत ने सहमति जताई। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम को भारत की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। सुनवाई के दौरान भारतीय वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान से पास जाधव को दोषी ठहराने के लिए उनके 'जबरन इकबालिया बयान' के अलावा कोई और सबूत नहीं है। साल्वे ने ये भी कहा था कि पाकिस्तान अपनी अंतरराष्ट्रीय जांच से ध्यान भटकाने के लिए कुलभूषण जाधव को मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है। साल्वे ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत का जिÞक्र करते हुए कहा कि कोई देश अपने यहां के कानून का हवाला देकर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं कर सकता। आपको बता दें कि दिसंबर 2017 में जाधव की मां और पत्नी उनसे मिलने पाकिस्तान गई थीं। इसके बाद भारत ने कहा था कि इस पूरी प्रक्रिया में 'कोई विश्वसनीयता नहीं थी' और इस मुलाकात का माहौल 'धमकी भरा' था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि जाधव की मां और पत्नी से जबरदस्ती कपड़े बदलवाए गए, उन्हें मातृभाषा में बात करने की इजाजत नहीं दी गई और उनकी पत्नी के जूते भी नहीं लौटाए गए।
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