भुवनेश्वर। विश्व के सबसे बड़े आदिवासी आवासीय विद्यालय भुवनेश्वर कीस प्रांगण के श्रीवाणीक्षेत्र जगन्नाथ मंदिर से बाहुड़ा यात्रा सुबह में मंगल आरती, मईलम, तड़पलागी, रोसड़ा भोग, अवकाश, सूर्यपूजा, द्वारपाल पूजा, शेष वेश, गोपालवल्लभ भोग, खिचड़ी भोग, सकल धूप और सेनापटा लागी के साथ आरंभ हुई। चतुर्धा देवविग्रहों को पहण्डी विजय कराकर उन्हें रथारुढ़ कराया गया। दिन के 12.30 बजे वाणीक्षेत्र जगन्नाथ मंदिर के प्रतिष्ठा सांसद प्रो अच्युत सामंत द्वारा तीनों ही रथों पर चंदन मिश्रित जल छिड़ककर सोने की मुंठवाले झाड़ु से बाहुड़ा छेरापंहरा संपन्न हुआ। घोड़ों को रथ से जोड़ा गया और जय जगन्नाथ की मंगल ध्वनि के साथ 4.30 बजे लगभग 30 हजार जगन्नाथ भक्तों द्वारा तीनों रथों बलभद्रजी, सुभद्राजी और भगवान जगन्नाथ के रथ क्रमश: तालध्वज, देवदलन और नंदीघोष को खींचकर जगन्नाथ मंदिर लाया गया। देवदलन रथ को केवल महिलाओं ने खींचा। गौरतलब है कि 4 जुलाई से लेकर 12 जुलाई तक वाणीक्षेत्र गुण्डीचा मंदिर में प्रतिदिन सायंकाल अनेक जगन्नाथ भजन समारोह और प्रवचन आदि आयोजित किये गये। प्रस्तुति : अशोक पाण्डेय
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