देश के पहले आॅनलाइन डिजिटल रेटिंग प्लेटफार्म ट्रूपल डॉट कॉम के को-फाउंडर से बातचीत
-ट्रूपल जैसा प्लेटफार्म शुरू करने के लिए आपको किस बात ने सबसे ज्यादा प्रेरित किया?
आज हजारों की संख्या में आॅनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म्स हैं जो सभी तरह की न्यूज कैटेगरीज में काम कर रहे हैं. लेकिन हमारी सोच उन सामाजिक मुद्दों को प्रकाश में लाने की है जिन्हे कोई भी अपने प्लेटफार्म पर नहीं लाना चाहता. फिर वो मुद्दे राजनैतिक, सिनेमा या अन्य किसी भी क्षेत्र से संबधित हो सकते हैं. हम हर खबर के पीछे की खबर दिखाने में यकीन रखते हैं.
-ट्रूपल को कम शब्दों में समझने की कोशिश करें तो इसे क्या कहा जा सकता है?
यह एक न्यूज कम व्यूज प्लेटफार्म है!! साफ शब्दों में कहे तो ट्रूपल एक ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ आपको उन मुद्दों की विस्तृत जानकारी देखने को मिलती है, जिनके बारे में लोग आॅफ द रिकॉर्ड बात करने से भी घबराते हैं. दरअसल हम उन्ही बातों को अपनी खबरों का हिस्सा बनाते हैं जो आम तौर पर अन्य प्लेटफॉर्म्स पर देखने को नहीं मिलती.
-ट्रूपल ने हाल ही में एक साल पूरा किया है. इस एक साल की यात्रा के बारे में कुछ बताएं?
पिछले एक साल में, हमने विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए आक्रामक रूप से काम किया है. हमने मौजूदा मंत्रियों-विधायकों के साथ मध्य प्रदेश विधानसभा तक अपनी पहुंच और पकड़ बनाई है. हम खुमार जैसे म्यूजिकल इवेंट आॅर्गनाइज कर रहे हैं. हमने नेशनल मुद्दों से लेकर लोकल सामाजिक मुद्दों पर शेड्यूल्ड सर्वे द्वारा जनता की राय जानी है. जिन्हे उनके जिम्मेदार नेता मंत्रियों तक पहुंचाने का काम किया गया. किसान के मुद्दों को जड़ से पकड़ने और किसानों की बात को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए ट्रूपल प्रतिनिधियों की टीम तैयार की गई. हमने सियासी ट्रैक से अलग कर दिए गए दिग्गज राजनेताओं को अपने प्लेटफार्म पर लाने और पार्टियों की भीतरी उठा पटक को समझने में भी कामयाबी हासिल की है.
-राजनीतिक या अन्य विवादास्पद मुद्दों को अंजाम देते समय ट्रूपेल ने किन विवादों का सामना किया?
हमें फिलहाल ऐसे किसी बड़े विवाद का सामना नहीं करना पड़ा है, हालांकि कई बार राजनेताओं से असल बात निकलवाना पेंचीदा काम होता है, हम जब एक सोशल प्लेटफार्म के लिए काम करते हैं तो कई तरह की परेशानियां सामने आती हैं, हम अपने चैनल को परेशानियों से कहीं ज्यादा ऊपर उठाकर देखते हैं. टेक्निकल तौर पर हमें अभी और मजबूत होने की जरुरत है.
-ट्रूपल को-फाउंडर होने के नाते सामने आने वाली चुनौतियां?
चूंकि हम मुख्य रूप से सत्य और तथ्यों पर काम करते हैं, इसलिए नियमित रूप से इसके चारों ओर घूमने में समस्याओं का सामना करना आम बात है. चुनौती बस यही है कि तथ्यों के साथ कोई खिलवाड़ न हो और तोड़मरोड़ कर पेश की जाने वाली खबरों की हकीकत सबके सामने उसके असल स्वरुप में पेश की जाये.
-आप भविष्य में किस नए एजेंडे को आगे बढ़ाने की योजना बना रहे हैं?
भविष्य में भोजपुरी और बुंदेलखंड भाषा में भी कदम रखने जा रहे हैं. बुंदेलखंड एक ऐसा राज्य है जहाँ से मुख्यधारा की ज्यादातर मीडिया दूर ही नजर आती है. इसलिए हमने बुंदेलखंड के हर जिले में अपने प्रतिनिधियों को उतारने की तैयारी की है. इसके अलावा हम एक वेब सीरीज पर भी काम कर रहे हैं, और उन मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हे और प्लेटफॉर्म्स कहने में कतराते हैं.
-ट्रूपल की सफलता का मंत्र क्या है?
हम अभी पूरी तरह अपने मकसद में कामयाब नहीं हुए हैं. लेकिन हम अपने तीन मूल मंत्रों पर काम करते हैं जो टीम प्रबंधन, नेतृत्व और निरंतर प्रयास के रूप में काम करता है. जैसा कि मैंने पहले कहा था, हम मुख्य रूप से सही जानकारियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इसलिए हमें अपने दर्शकों का पूरा समर्थन मिला हुआ है क्योंकि हम उन्हें वही देते हैं जो वे चाहते हैं. हम पूरी तरह से लोगों के लिए काम करते हैं.
-ट्रूपल में क्या नए बदलाव देखने की उम्मीद है?
जी हां, आने वाले दिनों में ट्रूपल को पूरी तरह से बदला हुआ पाएंगे. हमने पहले से बड़ी टीम तैयार की है और युवा जोश के साथ आगे बढ़ रहे हैं. हम कुछ ऐसे नए सेगमेंट और शो शुरू करने जा रहे हैं जिसे लेकर हमें यकीन है कि दर्शकों को वह काफी आकर्षित करेंगे. जनता के काम के मुद्दों पर बात होगी.
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