भुवनेश्वर। भुवनेश्वर सत्यनगर स्थित उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय में मुख्य संरक्षक सुभाष भुरा की अध्यक्षता में गुरुपूर्णिमा के अवसर पर गुरुमहात्म्य विषय संगोष्ठी आयोजित हुई। मौके पर हिन्दी गुरु अशोक पाण्डेय और रामचरितममानस सुंदरकाण्ड पाठ गुरु ब्रजेंद्र दाश को सुभाष भुरा और अंजना भुरा द्वारा सम्मानित किया गया। यह भी जानकारी दी गई कि आज का दिन हमसब के लिए गुरु के सम्मान और उनके वंदन का दिन है। यह भी जानकारी दी गई कि आज के दिन को व्यास पूर्णिमा के रुप में भी मनाया जाता है। पुस्तकालय की ओर से संगठन सचिव अशोक पाण्डेय ने यह जानकारी दी कि पुस्तकालय के लिए आज का दिन भी विशेष महत्त्वपूर्ण है। आज हमसब मिलकर गुरु महात्म्य विषयक संगोष्ठी में अपना-अपना विचार व्यक्त कर रहे हैं। कहते हैं जो ज्ञानी पुरुष अपने आचरण,आचार-विचार और व्यवहार से हमें जीवन का सच्चा ज्ञान देता है वही हमारे लिए गुरु है। इसीलिए हमारी अपनी मां और अपने पिताजी ही हमसब के सबसे पहले गुरु होते हैं जो हमें अपने सानिध्य में रखकर परिवार के बड़े-बुजुर्गों का आदर-सम्मान करना के लिए कहते हैं। स्वयं वे उसका अनुसरण करते हैं और हमसब को भी वैसा ही आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। पारिवारिक और मानवीय मूल्यों का वे बोध कराते हैं। हमारे तीसरे गुरु हमारे चरित्रवान और विद्यासागर हमारे शिक्षकगण होते हैं जो हमें विभिन्न प्रकार के ज्ञान की शिक्षा देते हैं और चैथे गुरु हमारे आध्यात्मिक संत-महात्मा और जगतगुरु होते हैं जिनका संतस्वभाव और आध्यात्मिक ज्ञान हमें सही जीवन जीने का उचित मार्गदर्शन करते हैं। हमसब को इन चारों गुरुओं के सानिध्य में रहकर अपने जीवन को सही दिशा की ओर अग्रसर बनाने हेतु आज गुरुपूर्णिमा का दिन आया है। गुरु ब्रजेंद्र दाश ने रामचरितमानस में वर्णित गुरुओं के प्रकार और उनकी भक्ति की कथा सुनाई। उनके अनुसार हनुमानजी हमारे लिए विद्यावान हैं। बल,बुद्धि और विद्या के प्रदाता हैं। अवसर पर सीमा-निधि द्वारा मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की गई उसके उपरांत मोरारीलाल लढानिया, अंजना भुरा, अनुप अग्रवाल, रश्मि गुप्ता, सबिता राय, डा आर एन ठाकुर और सजन लढानिया आदि द्वारा गुरु महात्म्य से संबंधित गुरु वंदना प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम का संचालन बड़े ही जीवंत अंदाज में निधि गर्ग द्वारा प्रस्तुत किया गया। मौके पर डा एल एन अग्रवाल, किरन ठाकुर, रबीश गर्ग, शिवकुमार शर्मा, रामकिशोर शर्मा, कृष्णा अग्रवाल और अनुज भुरा आदि उपस्थित होकर संगोष्ठी को सफल बनाये।
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