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इसीलिए जन-जन के चहेता बन गए सुनील सौरभ!

पश्चिमी दिल्ली के अधिकांश नागरिक देख रहे निर्दलीय प्रत्याशी में अपना अक्स
पश्चिमी दिल्ली में पूर्वांचल की आवाज बनकर उभर रहे हैं पत्रकार सुनील सौरभ 
नई दिल्ली। जनता के दिलों पर राज करना आसान नहीं होता। यह सौभाग्य उसे ही मिलता है, जो जनभावनाओं के अनुरूप आचरण करता है। कुछ इसी तरह का व्यवहार पत्रकार से राजनेता बनने की ओर अग्रसर सुनील सौरभ का देखने को मिल रहा है। नतीजतन वे पश्चिमी दिल्ली की जनता के बीच खासे लोकप्रिय हो गए हैं। पत्रकार और समाजसेवी जब किसी भी चुनावी राजनीति में उतरते हैं, तो अमूमन जनता का झुकाव होता है। बीते दो दशक से दिल्ली में रहकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार सुनील सौरभ इस बार दिल्ली के पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं। उन्हें दिल्ली की कुल आबादी में करीब चालीस फीसदी के करीब पूर्वांचल के लोगों पर भरोसा है। पूर्वांचल के लोग भी उन्हें दिल में बसा चुके हैं। पूर्वांचल के लोगों को पता है कि सुनील सौरभ ही उनकी आवाज बन सकते हैं। शायद यही वजह है कि फिलहाल सुनील सौरभ पश्चिमी दिल्ली में लोगों के चहेता बन गए हैं। यहां के लोगों का मानना है कि अब तक ज्यादातर नेताओं ने पूर्वांचल के लोगों को वोट बैंक के रूप में ही देखा और समझा है। ज्यादातर नेता पूरबियों को हिकारत भरी नजरों से देखते रहे हैं। लेकिन जब सुनील सौरभ ने यहां चुनाव लड़ने की हुंकार भरी है तब माहौल ही बदल गया है। सुनील सौरभ कहते हैं कि बीते कुछ वर्षों से पूर्वांचल के लोगों ने अपनी मेहनत और सूझबूझ के जरिए पहचान बनाई है। मैं उन्हीं लोगों की आवाज को बुलंद करने आया हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि पश्चिमी दिल्ली की जनता मुझे अपना आशीर्वाद देगी। कहते हैं कि शुरुआती दिनों में ही जिस प्रकार से जनता का समर्थन मिल रहा है, वह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। सुनील सौरभ का जनता से सवाल है कि आपने अभी तक सभी पार्टी के प्रत्याशी को मौका दिया है, परंतु क्या वे आप के आंकक्षाओं पर खरे उतरे हैं? तो इस बार अपना मन बदलिए, पार्टी छोड़िये और मुझ निर्दलीय को अपना समर्थन दीजिए। एक बात और यदि आप भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहते है तो आपसे अनुरोध है कि आप सीधे मेरे बैलेट पर मेरा नाम देखकर उसी पर वोट डाल दें। मेरा कोई एजेंट या पोलिंग एजेंट नही होगा। क्योकि भ्रष्टाचार का मूल जड़ इस पोलिंग एजेंट से ही शुरू होता है। 7200 पोलिंग बूथ है, यदि हर बूथ पर 5 भी लोग रखते है तो आप समझ सकते है कि इसमें कितना खर्चा होगा? बड़ी पार्टियों के प्रत्याशी चुनाव में कम से कम 70 -80 करोड़ खर्च कर देते हैं इसे रोकने के लिए आपको आगे आना होगा। आपको स्वच्छ और ईमानदार छवि के उम्मीदवार को चुनना होगा, जो इस बचे फंड का उपयोग क्षेत्र के विकास में लगाए।
RRT
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