जम्मू। मौसम बदलने के साथ हर छह महीने में जम्मू-कश्मीर की राजधानी भी बदल जाती है। राजधानी शिफ्ट होने की इस प्रक्रिया को 'दरबार मूव' के नाम से जाना जाता है। छह महीने राजधानी श्रीनगर में रहती है और छह महीने जम्मू में। राजधानी बदलने की यह परंपरा 1862 में डोगरा शासक गुलाब सिंह ने शुरू की थी। गुलाब सिंह महाराजा हरि सिंह के वंशज थे जिनके समय ही जम्मू-कश्मीर भारत का अंग बना था। दरअसल सर्दी के मौसम में श्रीनगर में असहनीय ठंड पड़ती है तो गर्मी में जम्मू की गर्मी थोड़ी तकलीफदायक होती है। इसे देखते हुए गुलाब सिंह ने गर्मी के दिनों में श्रीनगर और ठंडी के दिनों में जम्मू को राजधानी बनाना शुरू कर दिया। राजधानी शिफ्ट करने की यह प्रक्रिया जटिल और खर्चीली है, इस वजह से इसका विरोध भी होता रहा है। एक बार राजधानी शिफ्ट होने में करीब 110 करोड़ रुपये खर्च होता है।
कई बार जम्मू को कश्मीर की स्थायी राजधानी बनाने की मांग उठी क्योंकि वहां साल भर औसत तापमान रहता है। गर्मी के दिनों में कोई खास गर्मी नहीं पड़ती है। लेकिन राजनीतिक कारणों से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। आशंका है कि जम्मू को स्थायी राजधानी बनाने की स्थिति में कश्मीर घाटी में गलत संदेश जाएगा। वहां यह संदेश जाएगा कि कश्मीर घाटी पर जम्मू के नियंत्रण के लिए ऐसा किया गया है और इसकी आड़ में केंद्र सरकार अपना हस्तक्षेप और पकड़ बढ़ाना चाहती है। इससे श्रीनगर की पहले से तनावपूर्ण हालत को और खराब हो जाने की आशंका है। अभी राजधानी को जम्मू ले जाने की प्रक्रिया चल रही है। सिविल सचिवालय के सभी विभागों समेत कुल 55 कार्यालय और विभागों समेत पूरी तरह शिफ्ट हो जाएंगे। अन्य 53 कार्यालय आंशिक रूप से शिफ्ट होंगे। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट भी श्रीनगर से जम्मू शिफ्ट हो जाएगा। इस साल 5 नवंबर से राजधानी जम्मू से काम करना शुरू कर देगी और अप्रैल के अंत तक वहां रहेगी। सैकड़ों ट्रकों से ऑफिसों के फर्नीचर, फाइल, कंप्यूटर और अन्य रेकॉर्ड्स को शिफ्ट किया जाता है। बसों से सरकारी कर्मचारियों को शिफ्ट किया जाता है।
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