दावोस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व आर्थिक मंच यानी वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की 48वीं सालाना बैठक को संबोधित किया. स्विट्ज़रलैंड के दावोस में दो दशक के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने पहली बार वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम में भाग लिया. आख़िरी बार 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा इकॉनोमिक फ़ोरम में गए थे. फ़ोरम के चेयरमैन क्लॉस स्वॉप ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से फैल रही है. उन्होंने कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' का भारत का दर्शन अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के लिए अहम रहा है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम को वैश्विक मंच बनाना बड़ा कदम रहा. पिछले 20 सालों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का आकार छह गुना बढ़ा है. टेक्नोलॉज़ी के जोड़ने, तोड़ने, मोड़ने का उदाहरण सोशल मीडिया है. डेटा का ग्लोबल फ्लो बहुत बड़ा अवसर है, लेकिन चुनौती भी उतनी ही बड़ी है. जिसने डेटा पर नियंत्रण पा लिया, उसका ही दबदबा होगा. गरीबी, अलगाववाद, बेरोजगारी की दरार को हमें दूर करना होगा. मौजूदा वक्त में दुनिया के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां हैं. मानव सभ्यता के लिए जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा ख़तरा है. मौसम का मिजाज बिगड़ रहा है, कई द्वीप डूब गए हैं या फिर डूबने की कगार पर हैं. प्रकृति को बचना भारत की संस्कृति का हिस्सा रहा है. पिछले तीन साल में भारत ने अपना बिजली उत्पादन 60 गीगावॉट तक पहुँचा दिया है. दुनिया के सामने दूसरी बड़ी चुनौती है आतंकवाद. आतंकवाद जितना ख़तरनाक है उससे भी ज़्यादा ख़तरनाक है अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच बनाया गया कृत्रिम भेद.
तीसरी बड़ी चुनौती ये है कि आज हर देश सिर्फ़ अपने बारे में सोच रहा है. ग्लोबलाइजेशन की चमक धीमी पड़ी है. व्यापार समझौतों की रफ्तार कम हुई है और दुनिया के देशों के बीच कारोबार घट रहा है. तीन साल के भीतर 1400 से अधिक क़ानून खत्म किए गए. एकीकृत कर व्यवस्था जीएसटी के रूप में लागू की गई. पारदर्शिता बढ़ाने के लिए तकनीकी का अधिकतम इस्तेमाल किया जा रहा है. विश्व की बड़ी शक्तियों के बीच सहयोग होना चाहिए. साझा चुनौतियों के मुक़ाबले के लिए साथ आना होगा. तकनीकी और डिज़िटल क्रांति से बेरोजगारी का नए सिरे से मुक़ाबला किया जा सकता है. साभार बीबीसी
फिसली पीएम मोदी की जुबान, टि्वटर यूजर्स लेने लगे मजे
पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को स्विटजरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मंच पर भारत का इकोनॉमिक विजन पेश किया। मोदी ने न केवल दुनिया के सामने आ रही बड़ी चुनौतियों का जिक्र किया, बल्कि यह भी बताया कि अर्थव्यवस्था समेत विभिन्न मोर्चों पर भारत किस तरह मजबूती से आगे बढ़ रहा है। हालांकि, अपनी बात रखने के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी से एक चूक हो गई। उन्होंने कहा कि 30 साल बाद भारत में ऐसा हुआ कि किसी राजनीतिक दल को 2014 में 600 करोड़ भारतीयों ने वोट देकर बहुमत की सरकार बनवाई। बता दें कि भारत की कुल जनसंख्या ही 130 करोड़ के आसपास है। मोदी की स्पीच के इस हिस्से को समाचार एजेंसी एएनआई ने भी ट्वीट किया। हालांकि, बाद में उन्होंने यह ट्वीट डिलीट कर दिया। वहीं, बहुत सारे समाचार संगठनों के टि्वटर हैंडल ने इस डेटा को जस का तस पेस्ट करके शेयर कर दिया। टि्वटर पर बहुत सारे लोगों ने इस आंकड़े को लेकर हैरानी जताई। कुछ को तो विश्वास ही नहीं हुआ कि पीएम ने ऐसा कोई बयान दिया है। कुछ टि्वटर यूजर्स इस बयान पर मजे लेने लगे। साभार जनसत्ता
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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