मुम्बई (अभिजीत कांबले, बीबीसी मराठी)। मोदी सरकार के कामकाज से नाराज़ नाना पटोले ने सांसद पद और भाजपा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जनता से किए वादे पूरे करने में नाकाम रही है. नाना पटोले महाराष्ट्र के भंडारा से बीजेपी सांसद थे. उन्होंने मोदी सरकार पर ओबीसी, आदिवासी, दलित और किसान विरोधी होने का आरोप लगाया. बीबीसी से बातचीत में नाना पटोले ने कहा, "सत्ता में आने से पहले मोदी सरकार ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें लागू करने का वादा किया था लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें लागू करने से मना कर दिया. पहला विश्वासघात किसानों के साथ उसी दिन किया गया." उन्होंने कहा कि आज देश में किसानों की आत्महत्या दर 43% बढ़ गई है. नाना पटोले ने मोदी सरकार पर ओबीसी, आदिवासियों और दलितों की अनदेखी का आरोप भी लगाया.
उन्होंने कहा, "बीते तीन साल से ओबीसी, आदिवासी बच्चों को स्कॉलरशीप नहीं दी गई है." नाना का दावा है कि उन्होंने ये मुद्दे संसद में उठाए और प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से मिलकर इन पर बात भी की लेकिन "सरकार इसे नज़र अंदाज़ करती रही. इसलिए अंत में मैंने इस्तीफा देने का निर्णय लिया. इस फैसले पर मुझे बहुत खुशी है." भंडारा में एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को हराकर सांसद बने पटोले गुजरात में कांग्रेस की रैलियों में नज़र आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि वो कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. लेकिन बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने की संभावना से इनकार किया है हालांकि उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस की रैलियों में जाते रहेंगे और सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहेंगे. "हम पब्लिक में जाएंगे और जनता जो दिशा देगी उस दिशा में चलेंगे." कहा ये भी जा रहा है कि प्रफुल्ल पटेल की बीजेपी से बढ़ती नज़दीकियां भी नाना पटोले के बीजेपी छोड़ने का कारण हो सकती हैं. लेकिन नाना पटोले ने कहा, "मुझे नहीं पता कि प्रफुल्ल पटेल खुद को बचाने के लिए बीजेपी के साथ जा रहे हैं. लेकिन मैंने कभी पटेल पर पीछे से वार नहीं किया. मैं उनसे सामने से लड़ा. " "मैं लोकतंत्र को मानने वाला हूं और मुझे पता है कि लोकतंत्र में लोगों के लिए जो काम करता है वो कभी हारता नहीं." साभार बीबीसी
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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