गोरखपुर। सामाजिक सरोकार के पैरोकार विश्वस्तरीय धरा धाम परिवार ने लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति अपनी चिंता का इजहार किया है। इस बाबत डीएम के माध्यम से सीएम को नौ सूत्रीय मांग-पत्र भेजकर निरीह, गरीब एवं आर्थिक रुप से विपन्न लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं का ख्याल रखने की गुहार लगाई गई है। मांग-पत्र में सीएम को यह जानकारी दी गई है कि किस तरह निजी चिकित्सक गरीब मरीजों का शोषण करते हैं। प्राइवेट चिकित्सको द्वारा परामर्श शुल्क एवं विभन्न परीक्षणों के नाम पर अवैध रूप से वसूली की जा रही है, जिससे आम नागरिक परेशान है।
ज्ञापन देते समय धरा धाम प्रमुख सौरभ पाण्डेय ने कहा कि जब सरकार किसानों के फसल के उत्पादन का मूल्य स्वयं निर्धारित करती है तो चिक्तिसको और नर्सिंग होम के लिये क्यों नही एक नियमावली बनाती है। जिसमें उन्हें प्रत्येक जांच, सर्जरी, परामर्श शुल्क एवं मरीजो से लिये जाने वाले शुल्कों का विवरण स्पस्ट रूप से लिखा गया हो। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार सभी चिकित्सको एवम नर्सिग होम्स के मालिकों को निर्देशित करें कि वह सरकारी शुल्क पर ही मरीज देखें उसके बदले उन्हें एक निश्चित मानदेय दिया जाए। धराधाम परिवार के डा. एहसान अहमद ने कहा कि धरती के दूसरे भगवान कहे जाने वाले चिकित्सक परामर्श शुल्क एवं परीक्षणों के नाम पर मरीजो से धन उगाही कर रहे हैं जो अनुचित है। उन्होंने कहा कि पैथालॉजी सेंटर वाले जांच की रसीद देते हैं और जब जांच रिपोर्ट देते हैं तो वह रसीद वापस ले लेते हैं। इस दौरान डॉ.सतीश चंद्र शुक्ला व आशुतोष शुक्ला ने कहा कि रिहायशी क्षेत्रों मे हॉस्पिटल खोलना आम जनमानस के स्वास्थ्य के लिए खुल्लम-खुल्ला खिलवाड़ है। उस पर भी सरकार को अंकुश लगानी चाहिए। इस मौके पर उपरोक्त के अलावा प्रमुख रूप से बरिष्ठ अधिवक्ता सचितानंद ओझा, समाजसेवी लल्लन दुबे, गुरु पाण्डेय, अजय त्रिपाठी, रत्नाकर त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।
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