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बोली कांग्रेस, शौर्य डोवाल मामले में चुप्पी तोड़ मंत्रियों को बर्खास्त करें पीएम मोदी

सैय्यद खुर्रम रज़ा 
नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल के बेटे शौर्य डोवाल के एनजीओ ‘इंडिया फाउंडेशन’ में डायरेक्टर की हैसियत से मौजूद 4 मंत्रियों के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि वह अपनी चुप्पी तोड़ें और फौरन आरोपी मंत्रियों को कैबिनेट से बर्खास्त करें। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आरोपी मंत्रियों को न सिर्फ बर्खास्त किया जाए, बल्कि उनके खिलाफ सीबीआई से जांच भी कराई जाए क्योंकि यह एक बेहद गंभीर मामला है। सिब्बल ने कहा कि उन्हें मालूम है कि पीएम मोदी हर मामले की तरह इस मामले पर भी चुप रहेंगे, लेकिन कांग्रेस इस मामले पर चुप नहीं रहेगी। एक सवाल के जवाब में सिब्बल ने कहा, “इस मामले में कानून का खुला उल्लंघन हुआ है। इसलिए अगर पीएम इस पर चुप रहे तो कोई न कोई तो अदालत से जरूर गुहार लगाएगा।” इस पूरे मामले में हितों के टकराव का जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा, “ये हितों के टकराव का खुला मामला है इसलिए मंत्रियों को खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए, जैसा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने साल 2006 में किया था जब उन पर संसद सदस्य होने के साथ राष्ट्रीय सलाहकार समिति की अध्यक्ष होने की वजह से हितों के टकराव का इल्जाम लगा था। उन्होंने संसद की सदस्यता और समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि वह सिर्फ संसद की सदस्य थीं। ये लोग तो ऐसे मंत्री हैं जिनके पास अहम मंत्रालय हैं। इसलिए इन्हें सोनिया गांधी से सीख लेनी चाहिए।” पूरे मामले पर विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने बताया, “एफसीआरए के नियमों के मुताबिक किसी भी राजनीतिक पार्टी, पार्टी के पदधारकों और पत्रकारों को यह छूट नहीं मिल सकती। ये इस कानून का सरासर उल्लंघन है।” उन्होंने कहा कि एनएसए डोवाल के बेटे शौर्य के ‘इंडिया फाउंडेशन’ में केंद्र सरकार के 4 मंत्री, बीजेपी के एक महासचिव और प्रसार भारती के चेयरमैन बतौर डायरेक्टर मौजूद हैं और इस फाउंडेशन के राजस्व जमा करने का माध्यम स्पांसरशिप है और स्पांसरशिप देने वाली ज्यादातर कंपनिया रक्षा क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। सिब्बल ने कहा कि लोकतांत्रिक दुनिया के इतिहास में यह ऐसी पहली घटना है। हितों के टकराव के बारे में बताते हुए सिब्बल ने कहा कि इस फाउंडेशन में इन मंत्रियों की मौजूदगी की वजह से विदेशों से आने वाले पैसे या किसी सामान को रोका नहीं जा सकता, क्योंकि रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री इसकी डायरेक्टर हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मंत्री अपने मंत्रालय के कार्यालय से फाउंडेशन के डायरेक्टर के तौर पर भी काम कर रहे हैं। यानी दोनों पदों को एक साथ देख रहे हैं। सिब्बल ने सवाल किया कि अगर यूपीए का कोई मंत्री तीस्ता सीतलवाड या इंदिरा जय सिंह के एनजीओं में डायरेक्टर होता तो बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी आसमान सर पर उठा लेते, सड़कों पर उतर आते और संसद ठप्प कर देते। लेकिन अब प्रधानमंत्री और बीजेपी क्यों चुप हैं? साभार नवजीवन
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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