अजनबी शहर और अजनबी लोगो में दोस्ती के मकाम होते हैं गांव”
कैफ़े भड़ास ने गांव के माहौल को जीवंत किया है कैफ़े के एक कक्ष की दीवारों पर गांवो के मांडने है तो गोबर के उपले भी हैं। एक कोने में चूल्हा सजाया गया है तो लकड़ी का झूला है झोपडी नुमा जगह में बैठक व्यवस्था है बैलगाड़ी और गाड़ीवान को याद करेंगे और कल्पना में आसपास ही बचपन की कोई सरारत साकार हो जाएगी जब गाड़ी के पीछे लटककर गन्ना या कुछ और चुपचाप निकाला होगा गांव की स्मृतियों को ताजा करने के लिए कैफ़े भड़ास में आये और स्वयं को अपने गाँव में महसूस करें। कैफ़े भड़ास के अतुल मालिकराम ने बताया की हमने कैफ़े भड़ास में एक कक्ष को ग्रामीण माहौल के अनुकूल बनाया है एक कक्ष में आपको महसूस होगा की आप गाँव के सरल व सहज वातावरण में हैं शहरों में सुविधाओं से परिपूर्ण जीवन है जिसमे सभी तरह के भौतिक सुख सुविधा व साधन उपलब्ध हैं लेकिन जीवन में एक समय ऐसा भी आता है जब आप इन सबसे ऊबकर शांति से जीना चाहते हैं और तब गरम हवा भी ठंडक देती है पुरे गाँव। पूरे गाँव में स्नेह अपनापन व एक साथ खड़े होने का एहसास था। मन चाहता है सुकून के उन पलों को एक बार फिर जी सके। कैफ़े भड़ास में आकर आपको गाँव का ग्रामीण परिवेश मिल सकता है जहा बैठने पर आपको गांव से जुडी और वह उपयोग होने वाली कई चीजे देखकर महसूस होगा की आप गाँव में हैं कैफ़े भड़ास ने कुछ इसी तरह गांव को सजाया है चलो आज हम उसी गाँव में चलते हैं।
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