स्टॉकहोम। राइनर वाइस, बैरी बैरिश और किप थोर्ने को इस साल का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है. गुरुत्वीय तरंगों की खोज करने वाले वैज्ञानिकों को इस साल भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला है. स्टॉकहोम में नोबेल पुरस्कार देने वाली कमेटी ने इस साल भौतिक विज्ञान के लिए विजेताओं के नाम की घोषणा की है. तीनों वैज्ञानिक अमेरिका के हैं. इस बार भौतिकी का नोबेल पुरस्कार तीन लोगों को संयुक्त रुप से दिया गया है. पुरस्कार की आधी रकम जर्मनी में पैदा हुए वाइस को मिलेगी जबकि आधा इनाम थोर्ने और बैरिश में बांटा जायेगा.
राइनर वाइस मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं जबकि बैरी बैरिश और किप थोर्ने कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं. सितंबर में गुरुत्वीय तरंगों की खोज में इन तीनों वैज्ञानिकों की अहम भूमिका थी. कई महीनों के बाद जब इस खोज का एलान किया गया था तब ना सिर्फ भौतिक विज्ञानियों में बल्कि आम लोगों में भी सनसनी फैल गयी थी. इन तीनों अमेरिकी वैज्ञानिकों ने गुरुत्वीय तरंगों के अस्तित्व का पता लगाया और अल्बर्ट आइंस्टाइन के सदियों पुराने सिद्धांत को सच साबित किया. ये तीनों वैज्ञानिक लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जर्वेशन यानी लीगो रिसर्च प्रोजेक्ट से जुड़े थे जिसने आंस्टाइन के ग्रैविटेशनल रिलेटिविटी के सिद्धांत को सच साबित करने में सफलता पाई.
इन वैज्ञानिकों ने यह काम आइंस्टाइन का सिद्धांत आने के ठीक 100 साल बाद यानी 2015 में किया. इन्होंन दो ब्लैक होल के टकराव को सीधे तौर पर तब देखा जब इस घटना के 1.3 अरब साल पूरे हुए थे और यही वो समय है जब तरंगों को पृथ्वी तक पहुंचने में लगता है. गुरुत्वीय तरंगे ब्लैक होल्स के टकराव को पता लगाने का सबसे सटीक तरीका हैं क्योंकि ब्लैक होल्स को देखा नहीं जा सकता. इन तरंगों के हल्के हल्के संकेत 2015 में दिखे ते लेकिन अंतिम रिपोर्ट फरवरी 2016 में तैयार हुई. नोबेल पुरस्कार का एलान होने के कुछ ही देर बाद 85 साल के राइनर वाइस ने कहा रॉयल स्वीडीश एकेडमी ऑफ साइंस में पत्रकारों से टेलिफोन पर कहा, "हमें बहुत लंबा समय (लगभग दो महीने) खुद को यह भरोसा दिलाने में लगा कि हमने जो बाहर से देखा है वह सचमुच गुरुत्वीय तरंगें हैं."
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