नई दिल्ली। नोटबंदी को 11 महीने बीत जाने के बाद भी बैंककर्मियों को उनके ओवरटाइम का पैसा नहीं मिला है। बैंककर्मियों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है, साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उनकी बात नहीं सुनी जाती हैं तो वे कोर्ट का रुख भी करेंगे। 8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोट चलन से बंद कर दिए थे। ये नोट देश की करंसी के 86 फीसदी थे। नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले के बाद पुराने नोटों को जमा कराने या बदलने के लिए लोगों की भीड़ बैंकों की लाइनों में लग गई थी। ऐसे में बैंकों के कर्मचारियों को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अपने तय समय से ज्यादा काम करने पड़ा। साथ ही उनकी छुट्टियां भी रद्द कर दी गई थीं। ऐसी स्थिति करीब तीन महीने तक रही थी। लेकिन इस दौरान ओवरटाइम काम करने वाले कर्मचारियों को अभी तक उनका ओवरटाइम का पैसा नहीं मिला है। जबकि नोटबंदी को 11 महीने बीतने को हैं।
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में ऑल इंडिया बैंक एम्पलॉय एसोसिएशन के जनरल सेक्रेट्री सीएच वेंकटचलम के हवाले से लिखा है, ‘हम लोगों ने इसकी जानकारी सरकार को दी है। अगर हमारा ओवरटाइम का पैसा नहीं चुकाया जाता है तो हम कड़े उदम उठाएंगे। हम लोग पहले की तरह हड़ताल पर भी जा सकते है। इसके अलावा हम लोग कानूनी विकल्प भी तलाशेंगे।’ यूनियनों के मुताबिक किसी भी बैंक ने पूरा पैसा नहीं चुकाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले को वित्त मंत्री अरुण जेटली के संज्ञान में भी लाया गया था और अब श्रम मंत्रालय के साथ अगली बैठक में भी उठाया जाएगा। एक अन्य यूनियन के सदस्य अश्वनी राणा के हवाले से लिखा गया है, ‘हम लोग यह नहीं समझा पा रहे हैं बैंक कर्मचारियों का बकाया क्यों नहीं दे रहे हैं, जबकि वे इसके हकदार हैं। इससे कर्मचारियों का मनोबल नीचे गिरता है।’
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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