मुम्बई। शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर मुद्रास्फीति और तेल के बढ़ते दाम पर जोरदार निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रतिदिन ‘अच्छे दिन’ की ‘हत्या’ हो रही है। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में शामिल शिवसेना ने केंद्रीय मंत्री केजी अल्फोंस के पेट्रोलियम पदार्थो के मूल्य में बढ़ोतरी संबंधी बयान की आलोचना करते हुए इसे बेहद ‘गैर जिम्मेदाराना’ बताया। गौरतलब है कि अल्फोंस ने बीते शनिवार को कहा था कि ‘जो पेट्रोल और डीजल के बढ़े मूल्यों को वहन कर रहें हैं, वह भूखे नहीं मर रहें हैं।’ शिवसेना ने कहा कि कैबिनेट का यह नवरत्न पेट्रोलियम पदार्थो के बढ़े मूल्य का समर्थन कर रहा है क्योंकि उसे कभी भी अपने जेब से पैसे नहीं देने पड़ते। यह गरीबों के चेहरे पर थूकने जैसी बात है जिन्हें कांग्रेस के कार्यकाल में भी ऐसा अपमान नहीं सहना पड़ा था। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ और ‘दोपहर का सामना’ में शिवसेना ने कड़े संपादकीय में लिखा कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि अल्फोंस अपने बयान को सही ठहराते हुए कह रहे हैं कि कैसे ईंधन के दाम बढ़ने के बाद भी लोग मर नहीं रहे हैं। संपादकीय में कहा गया है कि इनकी सुनो! बिना किसी राजनीतिक अनुभव वाले नौकरशाह से मंत्री बने इनमें ही शायद वह तमाम ‘गुण’ हैं जिनकी बकौल अमित शाह, कांग्रेस में कमी है।
सामना में पूछा गया कि क्या वह भूल गए हैं कि संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने के विरोध में राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी और धर्मेद्र प्रधान जैसे भाजपा नेताओं ने कैसे खाली सिलेंडरों के साथ सड़कों पर प्रदर्शन किए थे। अब जब वे सत्ता में आ गए हैं तो गरीबों का मजाक उड़ाया जा रहा है और अल्फोंस जैसे लोग मुद्रास्फीति को सही बता रहे हैं। यह सच में बहुत दुखद है। महाराष्ट्र और भारत में भी किसानों की मौतों की बड़ी वजह ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी है। यहां लगातार बिजली नहीं रहने से समस्या बनी रहती है, जिस वजह से किसानों को डीजल से चलने वाले जेनरेटर पर निर्भर रहना पड़ता है और बाजार तक अपनी फसलों को पहुंचाने के लिए भी उन्हें बढ़े हुए वाहन मूल्य देने पड़ते हैं। कई किसान बढ़े मूल्य को चुका नहीं पाते और आत्महत्या कर लेते हैं। सामना ने ईंधन कीमतों की बढ़ोतरी पर हमला करते हुए कहा कि पेट्रोल, ईंधन और गैस मूल्यों में हुई वृद्धि से सामान्य लोग मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। संपादकीय में कहा गया है कि अच्छे दिन की रोजाना हत्या हो रही है।
शिवसेना ने कहा कि लोगों के पास खाने के लिए अन्न नहीं है, किसान लगातार संकट में जी रहे हैं, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी लोगों की चिंताओं को बढ़ा रही है। जब इन सब चीजों के बारे में महाराष्ट्र के एक उत्तेजित भाजपा विधायक पाशा पटेल से प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने सवाल पूछने वाले संवाददाता को धमकाया और उसे दिमागी इलाज कराने के लिए कहा। शिवसेना ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना में करोड़ों रुपए खर्च किए जाएंगे। अगर यह 30,000 से 40,000 करोड़ रुपए महंगाई से निपटने में लगाए जाते तो सभी लोगों को भला होता। शिवसेना ने संपादकीय में लिखा है, ‘पटेल ने संवाददाता को पागल कहा और दिमागी इलाज कराने को कहा। जबकि, सच तो यह है कि बुलेट ट्रेन की तारीफें करने वाले पागल हैं और उन्हें दिमाग का इलाज करने वाले अस्पतालों में भर्ती कराए जाने की जरूरत है।’ साभार जनसत्ता
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