गुरुग्राम। रायन इंटरनेशनल स्कूल में छात्र प्रद्युम्न की हत्या की जांच कर रही तीन सदस्यों की एसआईटी टीम ने अपनी जांच में कई गड़बड़ियां पाई है। एसआईटी टीम ने सीसीटीवी लगाने में गड़बड़ी पाई है। कैमरों को ठीक से इंस्टॉल नहीं किया गया था। इसके अलावा कर्माचारियों के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था भी नहीं है। स्कूल में रखे गए कर्मचारियों का ठीक तरीके से पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं कराया गया है। रिपोर्ट में सामने आया है कि स्कूल की बाउंड्री भी टूटी हुई थी और टॉयलेट बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं थे। एसआईटी द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद गुरुग्राम के डीसी ने माध्यमिक शिक्षा के निदेशक को पत्र लिखकर हरियाणा स्कूल शिक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। स्कूल को नोटिस भेजा गया है और 15 दिन के अंदर जवाब मांगा है। अगर स्कूल इन सवालों के जवाब देने में नाकाम रहता है तो उसकी मान्यता भी रद्द हो सकती है।
वहीं रायन इंटरनेशनल स्कूल में सात वर्षीय प्रद्युम्न की हत्या के बाद अब तक स्कूल प्रबंधन के खिलाफ ठोस कार्रवाई न होने से नाराज अभिभावकों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। रविवार सुबह स्कूल के बाहर अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया। इसी दौरान कुछ लोगों ने स्कूल के पास ही स्थित शराब की दुकान में आग लगा दी। स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे अभिभावकों व घटना की कवरेज करने गए मीडियाकर्मियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इससे एक दर्जन पत्रकारों सहित करीब 25 लोग घायल हो गए। घायलों में अमर उजाला का पत्रकार भी शामिल है। इस घटना के बाद दोपहर में पहुंचे शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि स्कूल के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा-75 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस सात दिनों में अपनी चार्जशीट पेश कर देगी। उन्होंने कहा कि यदि अभिभावक पुलिस जांच से संतुष्ट नहीं हैं तो हरियाणा सरकार इस मामले की सीबीआई जांच करा सकती है। शर्मा ने कहा कि इस मामले में स्कूल की लापरवाही साफ दिखती है। हालांकि स्कूल की मान्यता रद्द नहीं की जाएगी क्योंकि 1200 बच्चों के भविष्य की बात है।
पिता ने की सीबीआई जांच की मांग
प्रद्युम्न की हत्या के बाद अभिभावकों की नाराजगी को देखते हुए एहतियात के तौर पर पुलिस ने स्कूल के अंदर ही डेरा डाल रखा है। पुलिस अभिभावकों को स्कूल के बाहर भी एकत्रित नहीं होने दे रही है। लेकिन रविवार सुबह कुछ लोगों ने स्कूल से 50 मीटर की दूरी पर स्थित शराब के ठेके में आग लगा दी थी। लोगों का कहना था कि स्कूल के ड्राइवर और कंडक्टर खाली वक्त में यहीं से शराब खरीदकर पीते थे। इस खामी पर मीडिया रिपोर्टिंग की जा रही थी। इसी दौरान बिहार के मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव मीडियाकर्मियों से बातचीत कर रहे थे कि अचानक एसीपी ने लाठीचार्ज के मौखिक आदेश दे दिए। इसके बाद पुलिस ने स्कूल के बाहर खड़े अभिभावकों और मीडियाकर्मियों को जमकर पीटा। कई लोगों को पीठ पर तो किसी के सिर पर चोट आई। अमर उजाला संवाददाता को कंधे पर चोट लगी। पुलिस वालों ने कई लोगों को घर के अंदर से खींचकर पिटाई की। लाठीचार्ज के बाद मौके पर पहुंचे डीसीपी बिना बातचीत किए ही लौट गए। इसके बाद स्कूल के आसपास का इलाका खाली करा दिया गया। पुलिस की थ्योरी पर रविवार को भी प्रद्युम्न के अभिभावक व परिजनों ने सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की। प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर ने कहा कि 15 मिनट में आखिर कैसे हत्या हो सकती है? इसका जवाब पुलिस क्यों नहीं दे रही है। इसके पीछे जरूर कोई बात है। इसके लिए सीबीआई या कोई अन्य एजेंसी जांच जरूर करें। उन्होंने अभिभावकों से शांति बनाए रखने की अपील भी की। परिजनों से मिलने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि इस मामले में समांतर सीबीआई जांच हो ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके। पूर्व बिजली मंत्री कैप्टन अजय यादव, पूर्व राज्य मंत्री सुखबीर कटारिया समेत अन्य लोगों ने सीबीआई जांच की मांग की। हुड्डा ने पूरी घटना की निंदा करते हुए लाठीचार्ज को कमजोर सरकार की पहचान बताई।
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