लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिये गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव का परिणाम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में करना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की ही तरह उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हो गये हैं. योगी गोरखपुर और मौर्य फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं. माना जा रहा है कि इसी सप्ताह यह दोनों ही लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे. इनके इस्तीफा देने के बाद दोनों सीटों पर उपचुनाव होगा. उपचुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में आने पर ही माना जायेगा कि योगी अग्निपरीक्षा में कितना सफल हुये हैं. आमतौर पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उपचुनाव से अपने को अलग रखती है, लेकिन राजनीतिक हलकों में लगाये जा रहे कयास के अनुसार बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती फूलपुर में विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार हो सकती हैं.
राजनीति के जानकार बताते हैं कि मायावती विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार के रुप में उपचुनाव लड़ती हैं तो भाजपा के लिये फूलपुर सीट जीतना लगभग नामुमकिन होगा. भाजपा दोनों सीटों को फिर से जीतना चाहेगी इसके लिये वह हरसम्भव कोशिश करेगी, क्योंकि इसका असर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पड़ सकता है. दोनों में से एक भी सीट हारने पर भाजपा की किरकिरी तय है. योगी आदित्यनाथ के राज्य विधान परिषद की सदस्यता हासिल कर लेने के बाद अब लाख टके का सवाल है कि गोरखपुर का अगला सांसद भी क्या गोरक्षपीठ से ही होगा. लोकसभा के पिछले नौ चुनाव में गोरखपुर का सांसद गोरक्ष मंदिर से ही चुना जाता रहा है. सन् 1970 में पहली बार गोरक्षपीठाधीर और योगी आदित्यनाथ के गुरु महन्त अवैद्यनाथ निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में गोरखपुर के सांसद चुने गये थे. महन्त अवैद्यनाथ 1989 में हिन्दू महासभा से और 1991 तथा 1996 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीतकर लोकसभा में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 1996 के बाद 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में योगी गोरखपुर लोकसभा सीट पर लगातार कामयाब होते रहे. गत 19 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही तय हो गया था कि योगी लोकसभा सीट से इस्तीफा देंगे.
नौ बार सांसदी मंदिर में रहने की वजह से लोगों का सोचना है कि उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ अपने किसी प्रिय शिष्य को लोकसभा का उम्मीदवार बनवा सकते हैं ताकि मंदिर में ही लोकसभा की सदस्यता बरकरार रह जाए. हालांकि, योगी का कहना है कि पार्टी का जो भी निर्णय होगा वह मानेंगे. पार्टी के एक नेता का कहना है कि गोरखपुर के उम्मीदवार चुनने में योगी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. दूसरी ओर, पार्टी में योगी को पसन्द नहीं करने वालों का कहना है कि भाजपा योगी को नियंत्रित रखने के लिए उनके किसी विरोधी को भी टिकट दे सकती है. ऐसे लोगों का दावा है कि गोरखपुर के ही शिवप्रताप शुक्ल को इसी वजह से केन्द्र में मंत्री बनाया गया. यद्यपि मुख्यमंत्री के मिजाज से परिचित लोगों का दावा है कि पार्टी शायद ही ऐसा करे क्योंकि ोोयोगी अपने धुन के पक्के हैं और उन्हें नाराज कर गोरखपुर सीट के लिये उम्मीदवार का चयन शायद ही किया जाए. साभार सहारा
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