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नई दिल्ली। 2019 के तैयारी में जुटी बीजेपी के सामने अब मोदी सरकार की उपलब्धि गिनाने का वक्त आ गया है. ऐसे में रविवार को होने वाला मंत्रिमंडल में फेरबदल पार्टी और मोदी सरकार के लिए काफी अहम साबित होगा. नए मंत्रियों के सामने अच्छी-खासी चुनौतियां सामने खड़ी हैं, इस नए मंत्रिमंडल का प्रदर्शन ही बीजेपी के लिए 2019 का रास्ता तय करेगा. सूत्रों के मुताबिक 10 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी इनमे कई नाम चौंकाने वाले हो सकते हैं और जिन मंत्रियों को हटाया गया है उनको संगठन में भेजा जाएगा.
बीते 3 साल में मोदी सरकार बेरोजगारी खत्म करने के मुद्दे पर कुछ खास नहीं कर पाई है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने करोड़ो रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया था. ऐसा कई बार देखा गया है जब पार्टी या सरकार के प्रवक्ता एक ही मुद्दे पर अलग-अलग बातें बोलते रहे हैं. फिर चाहे किसानों की खुदकुशी या फिर फसल बीमा योजना रहा हो. हाल ही में नोटबंदी के मुद्दे पर भी मंत्री, आरबीआई और खुद पीएम भी अलग-अलग आंकड़े नजर देते नजर आए. नोटबंदी और जीएसटी के बाद से अर्थव्यवस्था की हालत खराब हो रही है. कई विशेषज्ञों का दावा है कि भारत मंदी की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है. अगर अगले 6 महीने में इसकी हालत में सुधार नहीं आया तो सरकार के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा जो चुनावी साल के लिए किसी भी लिहाज से ठीक नहीं होगा. जब सुरेश प्रभु रेल मंत्री बनाए गए थे तो सबको उम्मीद थी कि भारतीय रेल में सब कुछ बदल जाएगा लेकिन बीते तीन सालों में भीषण दुर्घटनाओं ने रेलवे विभाग की पोल की खोल कर रख दी है. यह भी तय है कि रविवार को शपथ ग्रहण के बाद देश को नया रेल मंत्री मिल जाएगा. उसके सामने यही चुनौती होगी कि कम से कम आने वाले 2 सालों में कोई दुर्घटना न हो. देश के ज्यादातर हिस्सों में इस समय बीजेपी या उसकी के समर्थन से सरकारें चल रही हैं. केंद्र की ओर चलाई जा रही हैं योजनाओं को लागू करने में कम से कम इन राज्यों में दिक्कत नहीं होनी चाहिए. मंत्रिमंडल के सामने यही बड़ी चुनौती है क्योंकि अगर अब भी फाइलें अटकना जारी रहा तो कोई बहाना नहीं चलेगा. साभार एनडीटीवी
कैबिनेट में फेरबदल को लेकर सस्पेंस, एनडीए में बेचैनी
मोदी कैबिनेट में किसे जगह मिलेगी और कौन होगा निराश? कैबिनेट फेरबदल को लेकर एक तरफ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मंथन का दौर चल रहा है तो दूसरी तरफ अटकलों ने सियासी सस्पेंस बढ़ा दिया है। इस बीच एनडीए के घटक दलों में भी बेचैनी बढ़ गई है। शिवसेना, जेडीयू और एआईडीएमके को लेकर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ सांसदों को राष्ट्रपति भवन से 10:30 बजे का निमंत्रण पत्र मिला है। शिवसेना का कहना है कि उसे भी तक इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट फेरबदल में पार्टी के सदस्यों को शामिल किए जाने को लेकर बीजेपी से कोई बातचीत नहीं हुई है। ठाकरे ने यहां मीडिया कर्मियों से कहा, 'मुझे मीडिया से ही कैबिनेट फेरबदल के बारे में जानकारी मिली। मैंने इस बारे में (बीजेपी नेतृत्व से) कोई पूछताछ नहीं की है। मुझे किसी से कोई समाचार नहीं मिला है और न ही हम सत्ता के भूखे हैं।' उन्होंने कहा, 'आज हर कोई केंद्र में कैबिनेट फेरबदल में व्यस्त है। हालांकि, हमारा ध्यान सिर्फ मुंबई के नागरिकों का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की ओर है।' ठाकरे ने कहा कि पिछले 50 सालों से पार्टी की विचारधारा रही है कि 80 प्रतिशत सामाजिक कार्य और 20 प्रतिशत राजनीति। सूत्रों के मुताबिक इस बार शिवसेना को मौका नहीं मिलेगा। यह भी कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री शिवसेना के एकमात्र मंत्री ( भारी उद्योग) अनंत गीते के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं और शिवसेना को गीते के बदले दूसरा चेहरा देने को कहा जा सकता है। पिछली बार भी शिवसेना के राज्यसभा सांसद अनिल देसाई का पत्ता आखिरी समय में कट गया था। दूसरी तरफ, तमिलनाडु की पार्टी में चल रही आंतरिक कलह इसके सरकार में शामिल होने की राह में एक बड़ा रोडा साबित हो सकती है। पार्टी के भीतर के संकट को दूर करने में जुटी एआईडीएमके टीटीवी दिनाकरण की बगावत से जूझ रही है। इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा कि उन्हें अब तक सरकार में शामिल होने की जानकारी नहीं दी गई है। प्रस्ताव आने के बाद विचार किया जाएगा। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हमारे सांसद दिल्ली में हैं। सरकार में शामिल होने को लेकर पार्टी में कोई विवाद नहीं है, लेकिन कल फेरबदल होने के बावजूद अब तक कोई संवाद नहीं किया गया है।' बीजेपी के सूत्रों ने इन दलों के सरकार में शामिल होने को लेकर चल रही उलझन को खारिज करते हुए कहा कि चीजें ठीक हो जाएंगी। ऐसा माना जा रहा है कि मोदी की ओर से योग्यता और व्यवहारिक राजनीति पर दिए जाने वाले जोर के बीच संतुलन के तहत छह से ज्यादा मंत्रियों को नए चेहरों के लिए अपने पद छोड़ने पड़ सकते हैं। जिन केंद्रीय मंत्रियों ने फेरबदल से पहले कल इस्तीफा दिया था, उनके नाम हैं- कलराज मिश्र, बंडारू दत्तात्रेय, राजीव प्रताप रूडी, संजीव कुमार बालियान, फग्गन सिंह कुलस्ते और महेंद्र नाथ पांडे। उमा भारती ने भी इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन भाग्य संभवत: उनके पक्ष में है। हालांकि ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कई अन्य लोगों का इस्तीफा हो सकता है। साभार एनबीटी
ये 9 नए चेहरे मंत्रिमंडल में हो सकते हैं शामिल
केंद्रीय कैबिनेट में रविवार सुबह बड़ा फेरबदल होने जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी अपने मंत्रिमंडल में नौ नए चेहरे शामिल करने जा रहे हैं. राष्ट्रपति भवन में सुबह 10:30 बजे शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक अनंत हेगड़े, वीरेंद्र कुमार और हरदेव सिंह पुरी को मंत्री बनाया जाएगा. सूत्रों के अनुसार मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर और बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह तथा पूर्व गृह सचिव और बिहार के आरा से सांसद आरके सिंह को भी मंत्री बनाया जाएगा. गजेंद्र सिंह, केजे अल्फोंस, शिवप्रताप शुक्ला और अश्विनी चौबे को भी मंत्री बनाए जाने की संभावना है. सूत्रों ने यह भी बताया है कि इस फेरबदल में किसी भी सहयोगी दल से मंत्री नहीं बनाया जाएगा. सूत्रों के अनुसार निर्मला सीतारमन और धर्मेंद्र प्रधान को प्रमोशन भी मिल सकता है. नितिन गडकरी को रेल मंत्री बनाए जाने की अटकलों में दम नहीं है. यानी वह रेल मंत्री नहीं बनेंगे. प्रधानमंत्री मोदी, गडकरी के मौजूदा मंत्रालय यानी सड़क एवं परिवहन मंत्रालय में उनके कामकाज से खुश हैं. छह मंत्री अब तक इस्तीफा दे चुके हैं. कुछ मंत्रालय जो अहम हैं और जिनके फुलटाइम मंत्री नहीं हैं, वे मंत्रालय किसको मिलेंगे इस पर सबकी नज़र रहेगी. ये मंत्रालय हैं - रक्षा, पर्यावरण, सूचना-प्रसारण और शहरी विकास मंत्रालय. तीन साल में तीसरी बार मोदी कैबिनेट में फेरबदल हो रहा है. आने वाले वक्त में गुजरात, हिमाचल, मध्य प्रदेश में चुनाव होना है, साथ ही लोकसभा चुनाव में भी दो साल से कम का वक्त बचा है, ऐसे में इस कैबिनेट फेरबदल और पीएम की नई टीम पर सबकी निगाहें हैं. इस्तीफा देने वाले मंत्री हैं- राजीव प्रताप रूडी, संजीव बालियान, फगन सिंह कुलस्ते, कलराज मिश्र, महेंद्र नाथ पांडे, बंडारू दत्तात्रेय. रेल मंत्री सुरेश प्रभु को दूसरा विभाग दिया जा सकता है. गौरतलब है कि रेल हादसों को लेकर सुरेश प्रभु ने पिछले दिनों इस्तीफे की पेशकश भी की थी. उनकी जगह प्रकाश जावड़ेकर को रेल मंत्री बनाए जाने की अटकलें हैं. जावड़ेकर अभी मानव संसाधन विकास मंत्री हैं. साभार एनडीटीवी
कांग्रेस बोली, अगर परफॉर्मेंस ही मंत्रिमंडल में फेरबदल का आधार है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पहले जाना चाहिए
नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार से पहले कांग्रेस ने बीजेपी और पीएम मोदी पर हमला किया है। शनिवार 2 अगस्त को कांग्रेस ने कहा कि अगर कैबिनेट में फेरबदल परफॉर्मेंस के आधार पर किया जा रहा है तो पीएम मोदी को सबसे पहले जाना चाहिए क्योंकि उनका काम सबसे खराब रहा है। राज्य सभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘यदि फेरबदल काम के आधार पर किया जा रहा है तो इसमें पीएम मोदी को भी शामिल किया जाना चाहिए। क्योंकि पीएम का काम सबसे घटिया रहा है, चाहे वह रोजगार पर उनका किया गया वादा हो, किसान के मुद्दे हों, जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति हो या फिर नोटबंदी मोदी हर जगह फेल साबित हुए हैं।इस बीच इस फेरबदल में अन्नाद्रमुक और जदयू के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। तमिलनाडू की पार्टी में चल रही आंतरिक कलह इसके सरकार में शामिल होने की राह में एक बड़ा रोड़ा साबित हो सकती है। पार्टी के भीतर के संकट को दूर करने में जुटी अन्नाद्रमुक टीटीवी दिनाकरण की बगावत से जूझ रही है।उधर, जदयू सूत्रों ने कहा है कि उन्हें अब तक सरकार में शामिल होने की जानकारी नहीं दी गई है। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हमारे सांसद दिल्ली में हैं। सरकार में शामिल होने को लेकर पार्टी में कोई विवाद नहीं है लेकिन कल फेरबदल होने के बावजूद अब तक कोई संवाद नहीं किया गया है।’’ भाजपा के सूत्रों ने इन दोनों दलों के सरकार में शामिल होने को लेकर चल रही उलझन को खारिज करते हुए कहा कि चीजें ठीक हो जाएंगी। ऐसा माना जा रहा है कि मोदी की ओर से योग्यता और व्यवहारिक राजनीति पर दिए जाने वाले जोर के बीच संतुलन के तहत छह से ज्यादा मंत्रियों को नए चेहरों के लिए अपने पद छोड़ने पड़े हैं।जिन केंद्रीय मंत्रियों ने फेरबदल से पहले कल इस्तीफा दिया था, उनके नाम हैं- कलराज मिश्र, बंडारू दत्तात्रेय, राजीव प्रताप रूडी, संजीव कुमार बाल्यान, फग्गन सिंह कुलस्ते और महेंद्र नाथ पांडे। उमा भारती ने भी इस्तीफे की पेशकश की थी लेकिन भाग्य संभवत: उनके पक्ष में है। हालांकि ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कई अन्य लोगों का इस्तीफा हो सकता है। कैबिनेट में फेरबदल की खबरों के बीच पश्चिमी दिल्ली के सांसद परवेश वर्मा ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की है। पार्टी के बीच संभावित मंत्रियों के तौर पर भाजपा के महासचिव भूपेंद्र यादव, पार्टी के उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे, प्रहलाद पटेल, सुरेश अंगदी, सत्यपाल सिंह, हिमंता बिस्वा सरमा, अनुराग ठाकुर, शोभा करंदलाजे, महेश गिरी और प्रहलाद जोशी का नाम चर्चा में है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि बिजली मंत्री पीयूष गोयल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा को सरकार में अच्छा प्रदर्शन करने वाले नेताओं के रूप में देखा जाता है। इनमें से कुछ लोगों को पदोन्नत भी किया जा सकता है। साभार जनसत्ता
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