मुम्बई। अभिनय के क्षेत्र में सिफर से शिखर तक की लम्बी दूरी तय कर चुके अभिनेता राजपाल यादव बेशक आज देश-दुनिया के करोड़ों दिलों पर राज करते हैं। रील लाइफ में अभिनेता और रीयल लाइफ में एक जननेता की पहचान बना चुके राजपाल यादव का नाम सुनते ही हर चेहरा मुस्कुरा उठता है। मुस्कुराए भी क्यों नहीं, रील से लेकर रियल तक के अपने किरदार में एक बेहद उम्दा व मददगार इंसान की छवि गढ़ चुके राजपाल यादव का हृदय हर उस जरूरतमंद के लिए द्रवित होता रहता है, जिसे इस रंग बदलती दुनिया में पावन प्रेम व सहानुभूति की दरकार होती है। हम उसी राजपाल यादव की चर्चा कर रहे हैं, जिनकी एक झलक पाने को पब्लिक बेकरार रहती है। बॉलीवुड में अपनी एक खास अहमियत रखने वाले इस जिंदादिल इंसान को पिछले दिनों मशहूर Giants International Award से सम्मानित किया गया। इस प्रतिष्ठित अवार्ड को पाकर राजपाल यादव कहते हैं-‘It was really amazing to be part of such a dignified group of professionals. It was a wonderful l evening and it was my pleasure to be a part of such a fantastic organisation.’
राजपाल यादव को अपने अभिनय के क्षेत्र में ऊंची मुकाम हासिल करने पर कई सारे पुरस्कार मिले हैं। इसी क्रम में रविवार को उन्हें फिल्म्स में बेहतरीन अदाकारी के लिए Giants International Award दिया गया। ये अवार्ड कई क्षेत्रों के लिए दिया जाता है। राजपाल यादव के साथ देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा जैसे लोगों को भी यह अवार्ड मिला। Giants नाम की ये संस्था साइना एनसी की है जो दुनियाभर के लोगों को अपने बेहतरीन कार्य के लिए पुरुस्कृत करती रहती है। राजपाल यादव हिन्दी फिल्मों के ऐसे हास्य अभिनेता हैं जो कि हिन्दी सिनेमा में अपने खास अंदाज के लिए जाने जाते हैं। यूपी के शाहजहांपुर के एक साधारण परिवार में जन्मे राजपाल यादव अपने गांव व शहर ही नहीं बल्कि प्रदेश व देश का नाम दुनिया भर में रोशन कर रहे हैं। राजपाल यादव के करीबी लोगों का कहना है कि स्कूल के समय से ही राजपाल नाटकों से जुड़ गए। स्कूल में कोई भी प्रोग्राम होता उसमें राजपाल जरूर हिस्सा लेते। 1989 से राजपाल थियेटर से जुड़े। जहां पर उन्होंने कई नाटक किए। इसके बाद 1992-94 के दौरान वे लखनऊ के भारतेंदु नाट्य एकेडमी में थियेटर ट्रेनिंग के लिए आ गए। वहां दो साल का कोर्स करने के बाद 1994-97 के दौरान वे दिल्ली के नेशनल स्कूल आफ ड्रामा चले गए। इसके बाद वे 1997 में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाने के लिए मुंबई पहुंचे।
राजपाल यादव ने दूरदर्शन के टेलीविजन सीरियल मुंगेरी के भाई नौरंगीलाल में अभिनय किया। यह दूरदर्शन पर ही प्रसारित होने वाले सीरियल मुंगेरीलाल के हसीन सपने का ही सीक्वेल था। राजपाल यादव निगेटिव रोल्स करने में सफल हुए लेकिन बाद में उन्होंने कामेडी रोल्स को ज्यादा तवज्जो दी जैसा कि उन्होंने “प्यार तूने क्या किया” में अभिनय किया था और इसके बाद वे हिन्दी फिल्मों के मुख्य हास्य कलाकार बन गए। हंगामा, वक्त दी रेस अंगेस्ट टाइम, चुप चुप के, गरम मसाला, फिर हेराफेरी, ढोल जैसी फिल्मों में उन्होंने दर्शकों को खूब लोटपोट किया।
कामेडी फिल्मों के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में अग्रणी अभिनेता के तौर पर कैरेक्टर रोल्स भी किए जैसे “मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूँ”, “लेडीज टेलर”, “रामा रामा क्या है ड्रामा”, “हेलो! हम लल्लन बोल रहे हैं” “कुश्ती”, “मिर्च” “मैं, मेरी पत्नी और वो” “अंडरट्रायल” आदि। “अंडरट्रायल” और “मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूँ” जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को खूब सराहा और सम्मानित भी किया गया। फिल्म जंगल में निभाए गए उनके निगेटिव रोल के लिए उन्होंने सैन्सुई स्क्रीन बेस्ट एक्टर अवार्ड जीतने के साथ स्क्रीन के बेस्ट एक्टर अवार्ड के लिए भी उन्हें नामांकित किया गया। मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं के लिए उन्हें यश भारती अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। उन्हें जनपद रत्न अवार्ड मिल चुका है। फिलहाल, राजपाल यादव डेविड धवन की “जुड़वा 2” में वरुण धवन के साथ खूब गुदगुदाते नज़र आएंगे। जुड़वा 2 इसी महीने की 29 तारीख को रिलीज हो रही है। आपको बता दें कि राजपाल यादव की फैन फॉलोइंग जबर्दस्त है। करोड़ों चाहने वाले हैं जो भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के हर हिस्से में मिल जाएंगे।
राजपाल यादव राजनीति में भी अपना हाथ आजमा रहे हैं इन्होंने “सर्व समभाव पार्टी (एसएसपी)” के नाम से एक पॉलिटिकल पार्टी भी बनाई है। सियासत के बाबत अपनी पार्टी के मुद्दे पर उनकी स्पष्ट राय है-‘ यह पार्टी चुनावी मौसम का मेढक नहीं है, जब हम समाज के समक्ष अपनी भावना लेकर हाजिर हों और समाज को यह विचार करने के लिए प्रेरित करें कि वे सार्थक, सकारात्मक, रचनात्मक विकल्प के बारे में सोचें। यह दीर्घकालिक अभियान की शुरुआत है।‘ कहते हैं कि हम आंदोलन का फैशन चलाकर सत्ता हासिल करने की जुगत करने वाली जमात नहीं हैं, हम आपस में सीधा संवाद करने, पीड़ा को साझा करने तथा समस्याओं का हल तलाशने और विवाद खत्म करने के लिए जूझने वाली जमात हैं। हम विकास के पक्षधर हैं, लेकिन मेट्रो बनने से पहले गन्ना किसानों के बकाये की पाई-पाई चुकता होते देखना चाहते हैं। हम एक्सप्रेस-वे के पक्षधर हैं, लेकिन उससे पहले गांव-गांव तक सड़कें बनना देखना चाहते हैं। अब आप इसी से अंदाजा से लगा सकते हैं कि राजपाल यादव राज, काज और समाज की खरी आवाज बनना चाहते हैं। बेशक, वे बनेंगे, क्योंकि उनके चाहने वाले तेजी से बढ़ रहे हैं।
राजीव रंजन तिवारी
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।