लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभाले 6 महीने हो चुके हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि इस दौरान अपराधियों पर पुलिस की सख्ती तो बढ़ी है लेकिन अपराध का ग्राफ भी राज्य में बढ़ा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार 19 सिंतबर को अपनी सरकार के 6 महीने के कार्यकाल का रिपोर्टकार्ड पेश करते हुए कहा कि मार्च 2017 से पहले प्रदेश में जंगलराज था। इससे मुक्ति दिलाना, उनकी सरकार की प्राथमिकता थी। इस दिशा में सरकार की तत्परता का ही नतीजा है कि पिछले छह माह में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ है, जबकि पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार में हर हफ्ते दंगे की औसतन दो वारदात होती थीं।पिछले छह माह के दौरान पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ की 431 घटनाएं हुई हैं, जिनमें 17 दुर्दांन्त अपराधी मारे जा चुके हैं। वहीं, 668 इनामी अपराधियों समेत 1106 बदमाश गिरफ्तार किये जा चुके हैं। साथ ही 69 अपराधियों की सम्पत्तियां जब्त की गयी हैं। सीएम योगी के राज में एनकाउंटर की घटनाओं को देखें तो पता चलता है कि 19 मार्च 2017 को सत्ता संभालने के बाद योगी राज में हर 12 घंटे में एक एनकाउंटर हुआ है।
बावजूद इसके योगी राज में अपराधी वारदात को अंजाम देने में पीछे नहीं हटे हैं। यूपी पुलिस की अपनी ही रिपोर्ट के मुताबिक योगी सरकार के पहले लगभग सौ दिनों यानी कि 15 मार्च से 15 जून के बीच डकैती के मामले 13.85 %, लूट 20.46 %, फिरौती के लिए किए गए अपहरण 44.44 % और बलात्कार के मामलों में 40.83 % की बढ़ोतरी हुई है। इस बीच अपराध की कुछ अहम घटनाएं इस प्रकार हैं। 16 सितंबर को ही में बरेली में केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन को कुछ बदमाशों ने सरेआम किडनैपिंग की कोशिश की। 19 सितंबर को जब राज्य सरकार क्राइम कंट्रोल के आंकड़े जारी कर रही थी उसी रात को अपराधी दिल्ली से सटे नोएडा में वारदात को अंजाम देने में जुटे थे। यहां पर एक व्यापारी के ड्राइवर के साथ मारपीट कर उसकी कार और डेढ़ लाख रुपए नगद लूट कर भाग रहे लुटेरों की पुलिस से मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में गोली लगने के बाद एक लुटेरे की मौत हो गई और उसके दो साथी भाग निकले। उत्तर प्रदेश सरकार एनकाउंटर के इन आंकड़ों को अपनी कामयाबी के रूप में पेश कर रही है, लेकिन विपक्षी समाजवादी पार्टी का कहना है कि सरकार पुलिसकर्मियों पर दवाब बना रही है। एनडीटीवी को पार्टी प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी दबाव में हैं, सरकार इनपर आंकड़े बढ़ाने का दबाव बना रही है और ये हालत चिंताजनक है।’ साभार जनसत्ता
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