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वाराणसी (समीरात्मज मिश्र, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू के गेट पर जिसे सिंहद्वार कहा जाता है, वहां चल रहा छात्राओं का आंदोलन महज़ दो दिन तक ही अहिंसक रह पाया. पहली रात तो छात्राओं ने सड़क पर बिता कर, प्रशासन के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करते हुए काट दी लेकिन दूसरी रात के गहराने के साथ ही आंदोलन हिंसा की भेंट चढ़ गया. ये अलग बात है कि छात्राओं का हौसला अभी भी क़ायम है. शनिवार देर रात जब परिसर के भीतर हिंसा और अराजकता दोनों एक साथ देखी गई, उस दिन शाम को ही ये आभास होने लगा था कि ऐसा कुछ हो सकता है. छात्राओं ने गेट पर बैठकर, एक तरह से उसे जाम ज़रूर कर रखा था लेकिन ऐसा नहीं था कि परिसर के भीतर आवाजाही बंद थी. अगल-बगल के दोनों द्वार और ज़रूरी वाहनों और आम लोगों के लिए मुख्य द्वार भी खुला था. शनिवार रात क़रीब नौ बजे विश्वविद्यालय की ही कुछ महिला प्राध्यापक भी इन छात्राओं को समझाने के लिए वहां आई थीं, छात्राओं के समर्थन में कुछ पुरानी छात्राएं भी दिख रही थीं और बड़ी संख्या में छात्र तो पहले से ही मौजूद थे. बीच में अचानक इस बात को लेकर विवाद हो रहा था कि 'हम बीएचयू को जेएनयू नहीं बनने देंगे'. ज़ोर-शोर से ये बात कहने वाला एक युवक आंदोलनरत छात्राओं से उलझ रहा था और ये भी कहता जा रहा था कि 'हम पहले दिन से और पहली पंक्ति में आपके साथ खड़े हैं, लेकिन...' सवाल उठता है कि 'हम बीएचयू को जेएनयू नहीं बनने देंगे' का मतलब क्या है? और ऐसा कहने वाले कौन लोग हैं? कुछ छात्राओं का सीधे तौर पर आरोप था कि उन लोगों की सीधी सी मांग है, उन्हें सुरक्षा देने की और वो इसीलिए वहां डटी हैं लेकिन कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि उनकी बात सुनी जाए. धरना स्थल पर मौजूद दीपिका नाम की एक छात्रा का कहना था, "ऐसे लोग ही हमें शांत कराना चाहते हैं और ये लोग कुलपति के इशारों पर काम कर रहे हैं." धरना स्थल के बाहर बीएचयू की कुछ अन्य छात्राओं से मुलाक़ात हुई. नाम न छापने की शर्त पर एक शोध छात्रा बताती हैं, "छेड़खानी की समस्या तो यहां बहुत आम है और इसके ख़िलाफ़ यदि आवाज़ उठी है तो अच्छा है. लेकिन कुछ लोग इसकी आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश कर रहे हैं, जो हम नहीं होने देंगे." इस छात्रा का भी ये कहना था कि 'हम बीएचयू को जेएनयू नहीं बनने देंगे'. हमारा सवाल था कि क्या जेएनयू से इतना परहेज़ क्यों? क्या वहां का अकादमिक स्तर बीएचयू जैसा नहीं है, पढ़ाई ठीक नहीं होती है, पढ़ने-लिखने का माहौल अच्छा नहीं है? ऐसे तमाम सवालों का जवाब 'हम बीएचयू को जेएनयू नहीं बनने देंगे' कहने वाले छात्र बस एक पंक्ति में देते हैं, "ये सबको पता है कि हम क्यों बीएचयू को जेएनयू नहीं बनने देना चाहते हैं." बीएचयू से पढ़े हुए एक पत्रकार मित्र इसका विवरण तो देते हैं लेकिन अपना नाम देना उन्हें भी गवारा नहीं है. वो कहते हैं, "बीएचयू में शुरू से ही एक ख़ास विचारधारा का बोलबाला रहा है. लड़कियां यहां बाहर से पढ़ने भले ही आती हों लेकिन उन्हें लेकर यहां की सोच में कोई फ़र्क नहीं है. लड़कियों का खुलापन और आज़ादी कोई बर्दाश्त नहीं कर सकता, चाहे सहपाठी लड़के हों, प्राध्यापक हों, कर्मचारी हों या फिर ख़ुद महिला छात्रावासों की वॉर्डन ही." पिछले दिनों जिस तरह से विश्वविद्यालय परिसरों में विवाद बढ़े हैं, उसे लेकर भी बीएचयू में हलचल है और शायद 'जेएनयू न बनने देने' वाली बात इन्हीं सबकी उपज है. जेएनयू वामपंथी विचारधारा के गढ़ के अलावा स्वच्छंद माहौल और विचारों के लिए भी जाना जाता है. शायद बीएचयू में वो स्वच्छंदता लोगों को न पसंद आ रही हो. आंदोलन कर रही छात्राओं को इस बात का भी मलाल है कि जब उनका आंदोलन शुरू हुआ तो देश के प्रधानमंत्री समेत राज्य के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और आला अधिकारी यहां मौजूद थे. छात्राओं के मुताबिक, "हमारे आंदोलन के कारण प्रधानमंत्री का रास्ता तक बदल दिया लेकिन दो दिन यहां रहने के बावजूद प्रधानमंत्री ने हमारा हाल तो छोड़िए, हमारे लिए एक ट्वीट तक नहीं किया." 'हम बीएचयू को जेएनयू नहीं बनने देंगे' कहने वालों का आरोप है कि छात्राओं ने जान-बूझकर आंदोलन के लिए इसी समय को चुना है ताकि वो चर्चा में आ सकें. आंदोलन कर रही छात्राओं की एक मांग और है कि कुलपति ख़ुद वहां आकर उनसे बात करें. और यही वो 'पेंच' है जो आंदोलन को इतना लंबा खींच रहा है. कुलपति वहां आने को तैयार नहीं हैं और छात्राएं उनके दफ़्तर में 'शिष्टमंडल' के साथ जाने को तैयार नहीं हैं. कई छात्राएं एक साथ बोल पड़ती हैं, "कुलपति की गरिमा है तो हमारी भी गरिमा है. हम कुलपति के दफ़्तर में भी जा सकते हैं लेकिन सिर्फ़ दो-चार नहीं बल्कि सभी छात्राएं जाएंगी और मीडिया को भी वहां जाने की अनुमति देनी होगी." काफ़ी कोशिशों के बावजूद कुलपति से अभी तक इस बारे में बात नहीं हो पाई है. साभार बीबीसी
लाठीचार्ज से बिगड़ा माहौल, पूरे कैंपस में कर्फ्यू सा नजारा
बीएचयू में छात्रा के साथ छेड़खानी के विरोध में शनिवार को हुआ बवाल रविवार को भी जारी रहा। रविवार को शांति मार्च निकाल रहे छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज से माहौल दोबारा बिगड़ गया है। फिलहाल पूरे कैंपस में कर्फ्यू से नजारा है। तीन एएसपी, छह सीओ, 15 थानेदार, डेढ़ सौ दरोगा, पांच कंपनी पीएसी और एक हजार अतिरिक्त पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है। रविवार को परिसर में शांति मार्च निकाल रहे छात्र-छात्राओं पर वीसी लॉज के पास लाठीचार्ज से माहौल दोबारा बिगड़ गया है। बवाल के बाद शनिवार देर रात बीएचयू में अवकाश घोषित कर दिया गया था, जबकि डीएम योगेश्वर राम मिश्र ने काशी विद्यापीठ, संपूर्णनंद संस्कृत विश्वविद्यालय समेत इससे संबद्ध सभी महाविद्यालय सोमवार से बंद करने का निर्देश दिया गया है। अगले आदेश तक कॉलेज बंद रहेंगे। बवाल के बाद सैकड़ों छात्राओं ने महिला महाविद्यालय का हॉस्टल खाली कर दिया है। सीआरपीएफ को परिसर में बुला लिया गया है। उधर, घटनास्थल पर जा रहे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर, और पूर्व सांसद पीएल पुनिया समेत कई कांग्रेसियों को शाम को पुलिस ने अर्दली बाजार में हिरासत में ले लिया है। परिसर में आगजनी, पथराव और बमबाजी के आरोप में एक हजार अज्ञात छात्र-छात्राओं के खिलाफ लंका थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। शाम को डीएम-एसएसपी ने फोर्स के साथ परिसर में मार्च किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे घटनाक्रम की मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण से रिपोर्ट तलब की है। लाठीचार्ज, आगजनी, पथराव, बमबाजी के दूसरे दिन रविवार की सुबह नौ बजे कुंदन देवी छात्रावास से सैकड़ों छात्र-छात्राएं शांति मार्च निकाल रहे थे। सूचना मिलते ही विश्वविद्यालय के सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें इंटरनेशनल हॉस्टल के पास रोकने का प्रयास किया लेकिन कुछ देर नोंकझोंक के बाद छात्र आगे बढ़ने लगे। वीसी लॉज के पास चौराहे पर उन्हें आता देख पहले सुरक्षा कर्मियों ने बैरीकेडिंग कर रास्ता रोक दिया। इसके बाद छात्र वहीं शांतिपूर्ण तरीके से बैठे गए। इस बीच बि़ड़ला छात्रावास की तरफ से आ रहे एसपी सिटी दिनेश सिंह भारी संख्या में पीएसी, पुलिस जवानों संग आए और छात्रों को वहां से खदेड़ने का निर्देश दिया। बस, क्या था आला अफसर का निर्देश मिलते ही पुलिस, पीएसी के जवानों ने छात्र-छात्राओं को लाठी लेकर दौड़ा दिया, इसमें कुछ छात्राएं वहां गिर पड़ीं। मौके पर विज्ञान संकाय के चार छात्रों को पकड़ लिया गया, जिसका विरोध करने पर बाद में उन्हें छोड़ना पड़ा। उधर पुलिस के इस कृत्य के विरोध में बिरला चौराहे पर छात्र धरने पर बैठ गए और शनिवार को छात्राओं पर लाठीचार्ज, छात्रों की पिटाई आदि के विरोध में नारेबाजी करने लगे। हिरासत में लिए गए छात्रों को छुड़ाने के लिए रविवार की सुबह और शाम उनके साथियों ने लंका थाने का घेराव किया लेकिन पुलिस ने सभी को तितर-बितर कर दिया। इस दौरान छात्रों ने लंका थाने पर जमकर नारेबाजी और पुलिस से नोकझोंक भी की। बीएचयू परिसर और लंका में तोड़फोड़, आगजनी, पथराव, बम फेंकने और माहौल बिगाड़ने के आरोप में रविवार को एक हजार अज्ञात छात्र-छात्राओं के खिलाफ लंका थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। यह कार्रवाई लंका थानाध्यक्ष राजीव सिंह की तहरीर पर की गई। बीएचयू प्रशासन की ओर से भी उपद्रवियों के खिलाफ लंका थाने में तहरीर दी गई है। वहीं, पत्रकारों पर लाठी चार्ज के मामले में आलोक पांडेय की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ लंका थाने में मारपीट और लूटपाट का मुकदमा दर्ज किया गया है। समूचे घटनाक्रम को लेकर सात छात्र हिरासत में लिए गए हैं। भड़काऊ वीडियो और तस्वीरें शेयर करने के आरोप में फेसबुक पेज ‘बीएचयू बज’ के खिलाफ भी आईटी एक्ट के तहत लंका थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। छेड़खानी के विरोध में बीएचयू गेट पर प्रदर्शन कर रही छात्राओं और उनके समर्थन मंद एकत्र छात्रों पर शनिवार की रात वीसी आवास और महिला महिला महाविद्यालय के सामने प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों और फिर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। इसके विरोध में छात्रों ने बिड़ला चौराहे से वीसी आवास और बीएचयू गेट तक पथराव किया था। इस दौरान छह बाइक, एक ट्रैक्टर और होर्डिंग फूंक दी थी। लंका चौराहा स्थित पुलिस पिकेट में आग लगा दी थी। पथराव में 13 पुलिसकर्मी और इतने ही छात्र-छात्राओं को चोट आई। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने दो दर्जन से ज्यादा राउंड हवाई फायरिंग की। आंसू गैस के गोले छोड़े। किसी तरह रात ढाई बजे स्थिति नियंत्रित हुई। एहतियातन रविवार को भी बीएचयू परिसर छावनी में तब्दील नजर आया। तीन एएसपी, छह सीओ, 15 थानेदार, डेढ़ सौ दरोगा, पांच कंपनी पीएसी, सीआरपीएफ और एक हजार अतिरिक्त महिला-पुरुष पुलिसकर्मी तैनात हैं। साभार अमर उजाला
सिक्योरिटी गार्ड ने छात्रा को मारा थप्पड़
शनिवार की रात धरना प्रदर्शन करते हुए छात्र-छात्राएं कुलपति आवास का घेराव करने के लिए आगे बढ़े. कुलपति आवास के पास यूनिवर्सिटी के सिक्योरिटी गार्ड्स ने उन्हें रोक दिया. प्रदर्शनकारी कुलपति के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इससे गुस्सा होकर एक सिक्योरिटी गार्ड ने एक छात्रा को थप्पड़ जड़ दिया. इसके बाद प्रदर्शनकारी आग-बबूला हो गए. तीखी नोंक-झोंक के बीच यूनिवर्सिंटी के गार्ड्स ने लाठीचार्ज कर दिया. इसमें कई लोग घायल हो गए. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में लाने के लिए लाठीचार्ज के साथ ही 16 राउंड फायरिंग की. इस दौरान हवाई फायरिंग के साथ ही आंसू गैस के गोले दागे गए. छात्र-छात्राओं के साथ कई पत्रकार और पुलिसकर्मी चोटिल. सभी अस्पताल में भर्ती. बीएचयू प्रशासन ने कैंपस के सभी हॉस्टल को खाली करने का आदेश जारी कर दिया है. रविवार को शनिवार की पूरी रात कटे बवाल के बाद सुबह थोड़ा शांत रहा. सुबह से शांतिपूर्ण रहा परिसर का माहौल दोपहर तक अचानक गर्म हो गया. दोपहर 12 बजे ब्रोचा छात्रावास के सामने से गुजर रहे एक ट्रैक्टर को फूंक दिया गया. एलडी हाउस गेस्ट हाउस चौराहे पर शांति मार्च निकाल रही छात्राओं पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों ने फिर से लाठीचार्ज कर दिया. पांच से अधिक छात्राएं घायल हुईं. लाठीचार्ज से बैखलाए छात्र-छात्राओं ने त्रिवेणी छात्रावास के पास जमकर पथराव किया. इस बीच कुलपति ने समय से पहले 2 अक्टूबर तक के लिए अवकाश घोषित कर दिया. छात्रावास खाली कराए जाने के आदेश और बिजली-पानी बंद करने के कारण एक-एक कर छात्राएं निकलने लगी हैं. विरोध-प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं ने शाम में BHU से अस्सी तक प्रतिवाद मार्च निकाला.
कांग्रेस नेता राज बब्बर, पीएल पुनिया गिरफ्तार
छात्र-छात्राओं के विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने BHU आ रहे कांग्रेस यूपी अध्यक्ष राजबब्बर, पीएल पुनिया और स्थानीय कांग्रेस नेता अजय राय को रास्ते में ही हिरासत में ले लिया गया. अभी भी विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार लंकागेट पर सैकड़ों छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन जारी है. विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस पूरे आंदोलन को बाहरी तत्वों की साजिश बताया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आईजी पुलिस से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है. उधर प्रशासन ने छात्र-छात्राओं की इस आंदोलन की आग को बुझाने के लिए विश्वविद्यालय में 2 अक्टूबर तक छुट्टियां कर दी हैं. छात्र-छात्राओं से होस्टल खाली कराए जा रहे हैं. यहां तक कि उनके बिजली-पानी का कनेक्शन भी काट दिया गया है.
बोले अखिलेश, आवाज उठाने की आजादी भी छिन गई
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में आंदोलनरत छात्राओं पर लाठीचार्ज करने की निंदा की है। उन्होंने सोशल मीडिया ट्विटर पर लिखा है, “नारी रक्षा व गरिमा की बात करने वालों ने BHU में छात्राओं व प्रेस पर लाठी चार्ज कर साबित कर दिया है कि अब आवाज़ उठाने की आज़ादी भी छिन गयी है।” उनके इस ट्वीट पर यूजर्स आपस में ही भिड़ गए। कुछ ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें ट्रोल किया है तो कुछ यूजर्स को दूसरे यूजर्स ने ही निशाने पर लिया है। एक यूजर ने लिखा है, “केवल यादव भाइयो को ज्यादा तकलीफ है मोदी और योगी से।” इसके जवाब में दूसरे यूजर ने लिखा है, “जब तुम्हारी बहन बेटी पर भी डंडे पड़ेगे तब पता चलेगी किसे ज्यादा तकलीफ होती है।” एक अन्य यूजर ने लिखा है, “सर बोल तो ऐसे रहे हैं कि आपके समय राम राज्य था ।” एक अन्य यूजर ने लिखा है कि मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उसने लिखा है, “छेड़छाड़ हुई तो पुलिस के खिलाफ नारे लगाने चाहिए लेकिन सबसे पहले नारे लगे मोदी और योगी के खिलाफ। बात तो सोचने लायक है।” उसे जवाब देते हुए दूसरे यूजर ने लिखा है, “क्यों भाई धरना करना और नारे लगाने का काम क्या सिर्फ स्मृति ईरानी और सुषमा का है क्या बस। क्या इस देश की हर लड़कियों को धरना करने का हक़ नहीं।”
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