नई दिल्ली। राजग प्रत्याशी एम वेंकैया नायडू देश के 13वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। वो भारत के 15वें उपराष्ट्रपति कार्यकाल को संभालेंगे। इनसे पहले हामिद अंसारी लगातार दो बार उपराष्ट्रपति रहे थे। उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में वेंकैया ने दो तिहाई से अधिक वोट प्राप्त करते हुए विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी को पराजित किया। वेंकैया नायडू को 516 वोट मिले जबकि गोपाल कृष्ण गांधी को 244 वोट प्राप्त हुए, चुनाव अधिकारी शमशेर के शरीफ ने इसकी जानकारी दी। उपराष्ट्रपति के लिए हुए मतदान में 11 वोट अवैध पाए गए। दोनों सदनों के 785 सांसदों में से 14 सांसद वोट नहीं डाल पाए। नवनिवार्चित उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने चुनवा जीतने के बाद कहा, 'किसान पृष्ठभूमि से आने के मद्देनजर मैंने इसकी कल्पना नहीं की थी कि मैं यहां पहुंच सकूंगा। भारतीय राजनीति में कृषि को उपयुक्त आवाज नहीं मिल पायी है।'
यह पहली बार है जब भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद पर संघ से जुड़े व्यक्ति आसीन हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का संघ से काफी पुराना नाता है और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी छात्र जीवन में संघ से जुड़ गए थे। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी आरएसएस के प्रचारक रह चुके हैं। गौरतलब है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में कहा था, 'आजाद भारत के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है जब भारत के सभी सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर एक ही विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति आसीन हैं।' उपराष्ट्रपति नायडू छात्र जीवन के समय 70 के दशक में आरएसएस से जुड़े थे। इस दौरान उनकी पहचान बतौर आंदोलनकारी छात्र के रूप में हो गयी थी। वेंकैया ने 1972 में जय आंध्र आंदोलन में भाग लिया था। इसके बाद 1973 से 74 तक आंध्र प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे थे। बता दें कि नायडू बतौर स्वंय सेवक दूसरे उपराष्ट्रपति हैं। उनसे पहले भैरोसिंह शेखावत 2002 से 2007 तक उपराष्ट्रपति के पद पर रहे थे।
भारत के मौजूद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी स्वयं सेवक रह चुके हैं। जब केंद्र में जनता पार्टी की मोरारजी देसाई सरकार बनी तो कोविंद पीएम के निजी सचिव बने। दिल्ली प्रवास के दौरान ही 1990 के दशक में उनकी मुलाकात जन संघ के नेता हुकुम चंद से हुई थी। हुकुम चंद उज्जैन के रहने वाले थे और उनकी वजह से कोविंद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी से जुड़ गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बचपन से ही संघ की तरफ झुकाव था। मोदी 1967 में अहमदाबाद पहुंचे और इसी समय 17 साल की उम्र में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली। इसके बाद 1974 में मोदी नव निर्माण आंदोलन में शामिल हो गए। इस तरह मोदी राजनीति में आने से पहले कई वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे।
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