गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में एक और बड़ा लापरवाही का मामला सामने आया है। CNNNews18 के मुताबिक, पिछले 48 घंटों के दौरान 36 मासूम बच्चों की मौत हो गई है। हालांकि, न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, सिर्फ सात बच्चों की मौत हुई है। अभी बच्चों की मौत के कारणों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है। गौरतलब है कि इस महीने की शुरूआत में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में 48 घंटे में 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। उस मामले में आज (मंगलवार) ही बीआरडी कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉ.पूर्णिमा शुक्ला को यूपी STF ने गिरफ्तार किया है। हालांकि, एसटीएफ के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि इन दोनों को पूछताछ के लिये हिरासत में लिया गया है। गोरखपुर के उसी अस्पताल में एक बार फिर से बच्चों की मौत से लोगों का गुस्सा फूटने लगा है। सोसळ मीडिया पर इस खबर पर लोग अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। जदयू नेता और सांसद शरद यादव ने भी इस खबर पर ट्वीट किया है।
मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य और उनकी पत्नी गिरफ्तार
मेडिकल कालेज गोरखपुर में बच्चों की मौत के मामले में आज उप्र विशेष कार्य बल यूपी स्पेशल टास्क फोर्स ने कानपुर से पूर्व प्राचार्य डा. राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डा. पूर्णमिा शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस महानिरीक्षक लोक शिकायत विजय सिंह मीना ने बताया कि डा. राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डा. पूर्णमिा शुक्ला को कानपुर से गिरफ्तार किया गया है। उन्हें गोरखपुर ले जाया गया है। इन दोनों का नाम उार प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज कराई गयी एफआईआर में शामिल हैं। गौरतलब है कि इस महीने की शुरूआत में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में 48 घंटे में 60 बच्चों की मौत हो गयी थी जिसके बाद सरकार ने तुरंत डा. मिश्रा को निलंबित कर दिया था। हालांकि, उसी दिन उन्होंने बच्चों की मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये अपने पद से त्यागपत्र भी दे दिया था। इस घटना के बाद विपक्षी दलों कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता गोरखपुर गये थे जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर को पिकनिक स्पाट नहीं बनने दिया जायेगा। प्रदेश सरकार ने यह भी कहा था कि बच्चों की मौत आक्सीजन की कमी से नहीं बल्कि विभिन्न बीमारियों की चपेट में आकर हुई थी। इस महीने की शुरूआत में बच्चों की मौत के कारणों की जांच के लिये उार प्रदेश सरकार ने प्रदेश के मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी जिसकी रिपोर्ट के बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज की गयी। इसमें पूर्व प्राचार्य डा. मिश्रा और उनकी पत्नी डा. शुक्ला का नाम एफआईआर में है। गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनिरूद्ध सिद्धार्थ पंकज ने पीटीआई भाषा को बताया कि इस मामले में कल रात मेडिकल कालेज के 100 बिस्तरों वाले एईएस वार्ड के नोडल अधिकारी डा. कफील के घर भी गयी थी। लेकिन वह वहां नही मिले। उनके घर वालों से कहा गया कि वह पुलिस के साथ सहयोग करे तो जांच के दौरान उनके खिलाफ कोई कार्वाई नहीं की जायेगी। इस मामले में लखनउु के हजरतगंज थाने में नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी थी जिसमें पूर्व प्राचार्य और उनकी पत्नी के नाम शामिल थे। इसके अलावा डा कफील खान, डा सतीश, चीफ फार्मेसिस्ट गजानंद जायसवाल, लेखाकार सुधीर पांडेय तथा पुष्पा सेल्स के उदय प्रताप शर्मा और मनीष भंडारी का नाम भी शामिल है। यह मामला यहां से गोरखपुर स्थानांतरित कर दिया गया है। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में भी बच्चों की मौत का कारण आक्सीजन की कमी नहीं बताया गया था। इस घटना के बाद उप्र सरकार ने कड़ा रूख अपनाते हुये चिकित्सा विभाग की अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागार जैन का तबादला कर दिया था। कहा जा रहा है कि यूपी पुलिस ने 4 डॉक्टरों और ऑक्सिजन डीलर पुष्पा सेल्स के दो अधिकारियों पर आईपीसी की धारा 308 के तहत कार्रवाई की। यह धारा जानबूझकर की गई लापरवाही के कारण हुई मौत से जुड़ी है। पुलिस ने धारा 304 के तहत कार्रवाई नहीं की है, जिससे हत्या का मामला बनता है। 308 में 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। सबसे अहम बात यह है कि यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार के उसी दावे की तरह है, जिसके तहत 10 अगस्त की रात को दो घंटे तक ऑक्सिजन की सप्लाई बाधित रहने से मौत नहीं होने की बात कही जा रही है। एफआईआर में कहा गया है कि बीआरडी के पूर्व प्राचार्य राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी पुष्पा मिश्रा की ऑक्सिजन सप्लाई में कथित तौर पर पुष्पा सेल्स से डील थी। प्राचार्य ने पर्याप्त फंड होने के बावजूद 2016-17 में ऑक्सिजन सप्लाई से जुड़ी बकाया रकम को मंजूरी नहीं दी और वित्त वर्ष के आखिर में 2.5 करोड़ के इस बजट को लैप्स हो जाने दिया। एफआईआर में कहा गया है कि बीआरडी को 2017-18 में 4.54 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया, जिनमें से पुष्पा सेल्स से संबंधित 64 लाख रुपये की रकम का अप्रैल में तत्काल भुगतान किया जा सकता था, लेकिन मिश्रा ने ऐसा नहीं किया। इन गतिविधियों के कारण पुष्पा सेल्स ने 10 अगस्त को ऑक्सिजन की सप्लाई रोक दी, जबकि दोनों डॉक्टरों और कंपनी को यह पता था कि ऐसी स्थिति में अस्पताल में मौतें हो सकती हैं।
प्रस्तुतिः सूरज सिंह
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