भड़ास देश का पहला खास कैफे है जहां आप अपने तरीके से अपने गुस्से उससे जुड़ी निराशा, चिड़चिड़ाहट आदि नकारात्मक भावों को व्यक्त कर सकते हैं, वह भी पूरी गोपनीयता के साथ
इंदौर। शहर में हर ओर आजकल केफे भड़ास की चर्चा चल रही है। भड़ास भारत का पहला ऐसा केफे है जहां आप अपने तरीके से अपने गुस्से उससे जुड़ी निराशा जलन चिड़चिड़ाहट इत्यादि नकारात्मक भावों को व्यक्त कर सकते हैं। वह भी पूरी सुरक्षा व गोपनीयता के साथ ताकि आपके व्यावसायिक या पारिवारिक रिश्तों पर असर न हो। आमतौर पर हर शहर की अपनी पहचान होती है। यह पहचान उसकी कुछ विशेषता जैसे एतिहासिक स्मारक, खान-पान, मार्केट या अन्य कुछ खासियतों से बनती है। इंदौर को मालवा का गौरव और मीनी मुंबई कहा जाता है पर इस शहर का दिल आज भी राजवाड़ा में धड़कता है। राजवाड़ा सिर्फ होल्कर कालीन महल नहीं है यहां के चैक में शहर के बाशींदों की जान बसती है। जश्न मनाना हो, विरोध प्रकट करना हो या दुःख में हों, हर मौकों पर राजवाड़ा पूरे शबाब पर होता है। आधी रात में भी यहां का उत्साह कम नहीं होता।
आधुनिक इंदौर में भड़ास केफे शहर ही पहचान बन गया है। भारत का पहला ऐसा केफे है जहां गुस्से को व्यक्त करने की विशेष सुविधा है। यहां पर आप तोड़फोड़ करके, चिल्लाकर अथवा रोकर तो अपना गुस्सा व्यक्त कर सकते हैं परन्तु भड़ास की एक और सुविधा ने इसे विश्व का पहला ऐसा केफे बना दिया है जहां गुस्से को शान्तिपूर्ण तरीके से सकारात्मक दिशा में मोड़ा जा सकता है। यानी नकारात्मकता में सकारात्मकता का अन्वेषण भी इसकी खासियत में शुमार है। भड़ास में सुरक्षा व्यवस्था के साथ आप अकेले में ऑफिस, परिवार, दोस्त या प्रिय के प्रति अपने गुस्से को व्यक्त करने के लिए उससे संबंधित सामान पूरी ताकत से तोड़ सकते हैं। रोने, चिल्लाने व अपशब्दों का प्रयोग भी करे तो कोई दूसरा नहीं सुनेगा और मन की भड़ास निकल जाएगी।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि गुस्सा सबसे अधिक एनर्जी वाला नेगेटिव इमोशन है। यदि इसे सही दिशा में मोड़ दिया जाए तो वह रचनात्मक एनर्जी बन सकती है। भड़ास में आप संगीत के वाद्य बनाकर पेन्टीग करके, बचपन के खेलो से या अन्य पसंदीदा काम करके अपनी एनर्जी यानी ऊर्जा को सकारात्मकता की ओर मोड सकते हैं। यकिन मानिए इतनी सारी खुबियों के साथ भड़ास आधुनिक इंदौर का पहचान बन गया है। जिस प्रकार राजवाड़ा के बिना इंदौर की कल्पना नहीं की जा सकती है वैसे ही आने वाले समय में भड़ास के बिना इंदौर अधूरा लगने लगेगा। अपने शहर की इस नई पहचान को देखने और बाहर से आने वालों को दिखाने का तो आपका हक बनता है। जब कोई भड़ास पर आता है तो स्वयं ही अपने गुस्से को बाहर निकालने के लिए तत्पर हो जाता है। अभी तक इंदौर में आने वाली कई बड़ी हस्तियों ने भड़ास का अवलोकन किया और इसे इंदौर की नई पहचान बताया है। लोगों का कहना है कि आने वाले दिनों में भड़ास कैफे इंदौर की शान बनेगा। भड़ास कैफे इंदौर के बारे में जानने की कुछ ज्यादा उत्सुकता हो तो आप अतुल मलिकराम (फोन नं.- 9755020247) से संपर्क कर सकते हैं।
By Annpurna Tripathi, PR 24x7
(समाचारों व विज्ञापनों के प्रकाशन के लिए फोन- 8922002003 (राजीव रंजन तिवारी), ईमेल-contact@newsforall.in पर संपर्क करें)
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