गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पिछले 48 घंटों में 30 बच्चों की मौत हो गई है। ये घटना गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक मेडिकल कॉलेज के आईसीयू और इंसेफलाइटिस वार्ड में ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने से इन बच्चों की मौत हुई है। गोरखपुर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्य नाथ का इलाका है। योगी आदित्यनाथ इसी इलाके से इस वक्त सांसद हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में दिमागी बुखार की वजह से कई बच्चे अस्पताल में भर्ती थे। गोरखपुर समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई इलाके दिमागी बुखार से प्रभावित हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अस्पताल के इस वार्ड में गुरुवार रात 11.30 बजे से ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो गई थी। ये सिलसिला सुबह 9 बजे तक चलता रहा। इसकी वजह से 30 बच्चों ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद अस्पताल में कोहराम मचा हुआ है। जिला प्रशासन ने अबतक सात बच्चों की मौत की पुष्टि की है। खबरों के मुताबिक इस मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का अस्पताल पर लगभग 69 लाख रुपये बकाया था। पैसे ना मिलने पर कंपनी ने लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी। इसके बाद अस्पताल में जंबों सिलेंडरों से गैस सप्लाई की जा रही थी। पहली बार अस्पताल के स्टाफ को रात आठ बजे पता चला कि ऑक्सीजन का स्टॉक खत्म हो गया है। अब तक यहां सिलेंडर से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही थी। इसके बाद वार्ड को लिक्विड ऑक्सीजन से जोड़ा गया, लेकिन दुर्भाग्य से रात 11.30 बजे ये भी खत्म हो गया। अब तक अस्पताल में कोहराम मच गया था, लगभग 50 से ज्यादा मरीज बेहोशी की हालत में थे, लेकिन डॉक्टर, नर्स स्टाफ कोई कुछ कहने की हालत में नहीं था। आनन-फानन में वरिष्ठ अधिकारियों को फोन लगाया गया। लेकिन कोई कुछ जवाब देने की हालत में नहीं था। इस बीच राहत की खबर रात 1.30 बजे आई जब ऑक्सीजन सिलेंडर से लदी गाडी आई। लेकिन राहत की ये खबर महज कुछ घंटों के लिए थी। सुबह सात बजे दोबारा ऑक्सीजन खत्म हो गई। इसे पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला का कहना है कि पिछले 48 घंटों में अलग-अलग कारणों की वजह से 30 बच्चे मारे गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में अस्पताल में ऑक्सीजन स्किजन की कमी के कारण मरीज़ की मौत को भ्रामक बताया गया है। गवर्मेंट ऑफ़ यूपी के ट्विटर हैंडल के ट्वीट में कहा गया है,'' गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से किसी रोगी की मृत्यु नहीं हुई है।'' इसके बाद किए गए एक और ट्वीट में कहा गया है, ''कुछ चैनलों पर चलाई गई ऑक्सीजन की कमी से पिछले कुछ घंटों में अस्पताल में भर्ती कई रोगियों की मृत्यु की खबर भ्रामक है।'' ये भी कहा गया है, ''जिलाधिकारी अस्पताल में मौजूद रहकर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।'' इससे पहले गोरखपुर के ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रवींद्र कुमार ने बीबीसी को बताया कि मरने वाले बच्चों की संख्या लगभग बीस ज़रूर है लेकिन उनकी मौत की वजह ऑक्सीजन की सप्लाई का बंद होना नहीं है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के इस वॉर्ड में हर साल हज़ारों की संख्या में इंसेफ़ेलाइटिस के मरीज़ आते हैं और उनमें से कई मरीजों की मौत हो जाती है। इनमें से ज़्यादातर बच्चे होते हैं।
अस्पताल के ही एक अन्य डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया कि नवजात शिशुओं और इंसेफ़ेलाइटिस के इन वॉर्डों में सामान्य तौर पर 8-10 बच्चों की मौत हर रोज़ होती है। सीएमओ डॉक्टर रवींद्र कुमार का कहना था कि नवजात शिशु वॉर्ड में चौदह और इंसेफ़ेलाइटिस वॉर्ड में चार बच्चों की मौत हुई है। उनके मुताबिक, "नवजात शिशु वॉर्ड में एक से चार दिन तक के बच्चे गंभीर अवस्था में भर्ती होते हैं और उनकी मृत्यु दर काफी ज़्यादा होती है। इसे ऑक्सीजन सप्लाई की वजह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और न ही ऐसा हुआ है।" लेकिन डीएम रौतेला ने मीडिया से बातचीत में साफ़ तौर पर बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली एजेंसी ने क़रीब सत्तर लाख रुपये बकाया होने के कारण सप्लाई रोकने की चेतावनी दी थी, बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन ने इसकी जानकारी किसी को नहीं उपलब्ध कराई। वहीं मरीजों के परिजनों का कहना है कि मरने वालों की संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है।
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