पटना। बिहार में बने महागठबंधन से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने 6वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। बुधवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने लालू यादव एंड फैमली पर जमकर निशाना साधा था। उसके बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने पलटवार करते हुए नीतीश कुमार को मर्डर और आर्म्स एक्ट में आरोपी बताया था। लालू ने 1991 में हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनाव के दौरान बाढ़ संसदीय क्षेत्र में हुई सीताराम सिंह की हत्या का जिक्र किया। इसमें नीतीश कुमार बतौर अभियुक्त नामजद हैं। उन्होंने कहा कि खुद को ईमानदार बताने वाले नीतीश को पता था कि वह इस मामले में घिरने वाले हैं. इसी डर से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी के साथ चले गए। जानकारी के मुताबिक, नीतीश पर दर्ज हत्या का यह मामला 26 साल पुराना है। इसमें पंडारख थानाक्षेत्र के ढीबर गांव के रहने वाले अशोक सिंह ने नीतीश कुमार सहित कुछ लोगों पर हत्या का केस दर्ज कराया था। अशोक सिंह ने आरोप लगाया था कि बाढ़ सीट पर मध्यावधि चुनाव में वह अपने भाई सीताराम सिंह के साथ वोट देने मतदान केंद्र पर गए थे। आरोप है कि उसी वक्त इस सीट से जनता दल उम्मीदवार नीतीश कुमार वहां आ गए। उनके साथ मोकामा से विधायक दिलीप कुमार सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव भी थे। सभी लोग बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस होकर आए थे। अचानक नीतीश कुमार ने उनके भाई के उपर फायरिंग कर दी। उससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।
साल 1991 का यह मामला साल 2009 में एक बार फिर उछला था। उस वक्त 1 सितंबर 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) रंजन कुमार ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था। नीतीश ने हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कर मामले को रद्द करने की मांग की थी। इस पर हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के आदेश पर स्टे लगा दिया और इस हत्याकांड में नीतीश के खिलाफ चल रहे सभी मामलों को उसके पास स्थानांतरित करने को कहा था। हालांकि हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद इन 8 वर्षों के दौरान इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस तरह साफ-सुथरी छवि का दावा करने वाले नीतीश को लालू ने घेर दिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार द्वारा दिए गए एफिडेविट में उन पर दर्ज मामलों का जिक्र है। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302 और 307 के तहत केस दर्ज है। इसके साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत भी मामला दर्ज है। धारा 302 हत्या, 307 हत्या के प्रयास, धारा 148 घातक हथियार से लैस होकर दंगा से संबंधित है।
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