नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार की जम्मू एवं कश्मीर नीति पर एक बार फिर करारा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों की वजह से जम्मू एवं कश्मीर आग की लपटों में घिरा है। एनडीए सरकार की कश्मीर नीति पर उठाए गए सवालों के बावजूद राहुल ने जम्मू एवं कश्मीर में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की गुंजाइश को सिरे से खारिज कर दिया। संसद भवन में पत्रकारों से राहुल ने कहा कि लंबे समय से कश्मीर के हालात काफी गंभीर है। घाटी में आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद बिगड़ी स्थिति अभी तक काबू में नहीं आई है। इस हालत के लिए राहुल ने जहां साफ तौर पर मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं जम्मू-कश्मीर की पीडीपी-भाजपा सरकार की नाकामियों की ओर इशारा भी किया। जम्मू एवं कश्मीर के मौजूदा हालत को देखते हुए पहले चीन की मध्यस्थता की पेशकश और पाकिस्तान से बातचीत के सवाल पर राहुल ने कहा कि किसी तीसरे पक्ष के दखल का सवाल ही नहीं पैदा होता।
राहुल ने कहा कि मेरा साफ मानना है कि कश्मीर भारत है और भारत कश्मीर है। यह हमारा आंतरिक मसला है और किसी दूसरे को हस्तक्षेप की इजाजत नहीं दी जा सकती। जम्मू एवं कश्मीर में जारी उपद्रव और आतंकी हिंसा का दौर नहीं थमने को लेकर पिछले एक हफ्ते में राहुल का प्रधानमंत्री मोदी पर यह दूसरा हमला था। उनकी इस रणनीति से साफ है कि कश्मीर पर सरकार की कमजोरियों को उजागर करने का सिलसिला कांग्रेस जारी रखेगी। इसीलिए पार्टी ने मानसून सत्र के दौरान मोदी सरकार को सियासी रूप से असहज करने वाले जिन प्रमुख मुद्दों का डोजियर तैयार किया है उसमें कश्मीर के हालात सुधारने की नाकामी का मसला भी अहम है। पार्टी मौजूदा सत्र के दौरान संसद में कश्मीर के हालात पर बहस कराने पर भी जोर देगी। कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कश्मीर के मौजूदा हालात का समाधान निकालने के रास्ते सुझाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति भी बनाई है।
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