पटना। बिहार में बीजेपी और जेडीयू की गठबंधन वाली सरकार आना सिर्फ कांग्रेस और आरजेडी के लिए बुरी खबर नहीं बल्कि महागठबंधन के सूत्रधार में मुख्य भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर के लिए भी खराब रहा। प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार ने सलाहकार के पद से हटा दिया है। बिहार में बीजेपी और जेडीयू की सरकार बनते ही प्रशांत किशोर की छुट्टी कर दी गई। इसी के साथ उनका राज्यमंत्री का दर्जा भी छिन गया है। महागठबंधन की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपना सलाहकार नियुक्त किया था। लेकिन महागठबंधन में टूट के साथ ही किशोर को भी ठिकाने लगा दिया गया है।
न्यूज 18 के मुताबिक प्रशांत किशोर को सलाहकार पद से हटाए जाने के पीछे नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाना बताया जा रहा है। छठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को हटाकर बड़ा झटका दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रशांत किशोर एक साल से बिहार में नहीं थे। वह अप्रैल 2016 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह का चुनाव कैंपेन संभालने के लिए बिहार की राजधानी पटना छोड़कर चले गए थे। बताया जाता है कि किशोर ने उसी समय नीतीश कुमार बिना तारीख लिखा हुआ त्याग पत्र सौंप दिया था। साथ ही नीतीश कुमार से कहा था कि वह जब चाहे इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर संपर्क में आए। प्रशांत किशोर ने नीतीश और जेडीयू के चुनाव प्रचार अभियान को धार देना शुरू किया था। किशोर ने महागठबंधन की पूरी भूमिका बनाई। वह ही ऐसे इंसान हैं, जिन्होंने बिहार के दो धुर विरोधी राजनेताओं लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार को एक मंच पर खड़ा किया और एक साथ चुनाव लड़ने के लिए राजी करवाया। विधानसभा चुनावों में महागठबंधन भारी बहुमत के साथ विजयी हुआ। जिसके बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सोशल मीडिया पर राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले किशोर को सलाहकार बनाया था। इससे पहले साल 2014 में प्रशांत किशोर ने बीजेपी को जीत दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई थी। बीजेपी से प्रशांत की दूरियों की वजह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हैं। कहा जाता है कि शाह किशोर को पसंद नहीं करते हैं।
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