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गोरक्षा के मुद्दे पर राज्यससभा में घिरी सरकार, कांग्रेस नेता ने पूछा 'क्या ये घटनाएं भाजपा की सहमति से हो रही हैं'?

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने गोरक्षा के नाम पर लोगों की पीट पीटकर हत्या की घटनाओं को लेकर सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि दलितों व अल्पसंख्यकों पर हमला करने वालों को सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संरक्षण मिल रहा है। आजाद बुधवार को गोरक्षा के बहाने भीड़ द्वारा हत्याओं (मॉब लिंचिंग) के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने कहा, “गोरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या के मामलों में पिछले तीन सालों में बढ़ोतरी हुई है। इन घटनाओं में शामिल लोगों को सत्ताधारी पार्टी के लोगों का समर्थन मिल रहा है।” आजाद ने कहा कि इस तरह की घटनाओं ने देश में ‘भय, आतंक, लूट व आगजनी’ का माहौल बनाया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने इस तरह की घटनाओं की बढ़ोतरी पर सरकार की आलोचना की और सवाल किया कि ‘क्या ये घटनाएं भाजपा की सहमति से हो रही हैं।’ उन्होंने सदन को स्मरण कराया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस तरह की हत्याओं के खिलाफ बोल चुके हैं, लेकिन ‘विपक्ष को लगता है कि ये घटनाएं सत्तारूढ़ पार्टी की सहमति से हो रही हैं।’ उन्होंने पूछा कि क्या ये घटनाएं ‘परिवार’ में अंदरूनी कलह के कारण हो रही हैं। उनका इशारा हिंदुत्व समर्थक पार्टियों की ओर था। आजाद ने भाजपा से अपील की कि वह देश में जाति व धर्म के नाम पर माहौल खराब नहीं करे। उन्होंने कहा, “देश की एकता व अखंडता के लिए विपक्ष का हर सदस्य अपना खून बहाने के लिए तैयार है।” नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “वोट बैंक की राजनीति बंद कीजिए।” उन्होंने कहा कि इससे केवल बाहरी ताकतें मजबूत होती हैं, जो देश तोड़ने के प्रयास में लगी हैं। उन्होंने कहा, “अगर हम अपने ही लोगों से लड़ेंगे, तो फिर बाहरी ताकतों से कैसे लड़ेंगे।” जवाब में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि गोरक्षकों द्वारा किए गए अपराधों को सांप्रदायिक रंग न दिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन अपराधों में कोई पार्टी या सरकार नहीं, बल्कि लोग शामिल हैं। उन्होंने इस तरह के अपराधों को अंजाम देने वालों को अलग-थलग करने व उनपर काबू पाने के लिए एकजुट होकर मुकाबला करने का आह्वान किया। केंद्रीय संसदीय राज्य मंत्री नकवी ने राज्यसभा में कहा, “यह पूर्णत: अपराध की घटनाएं हैं और किसी को इन्हें सांप्रदायिक रंग नहीं देना चाहिए। अगर आप इस तरह की संगीन घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देते हैं, तो यह केवल उन अपराधियों के उद्देश्यों की पूर्ति होगी, जो चाहते हैं कि इन अपराधों को धर्म से जोड़कर देखा जाए।” मंत्री ने कहा कि विपक्ष इन मुद्दों को एक साजिश के हिस्से के तहत उठा रहा है, क्योंकि मोदी सरकार में भ्रष्टाचार का कोई मामला उनके हाथ नहीं लग सका है। उन्होंने कहा, “इसलिए सरकार को बदनाम करने के लिए वे इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि आजाद ने दावा किया है कि इस तरह की घटनाओं के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है, जो गलत है, क्योंकि राजस्थान, हरियाणा, झारखंड तथा महाराष्ट्र में ऐसे मामलों को फौरन दर्ज किया गया और संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया। मंत्री ने कहा, “यहां तक कि सर्वदलीय बैठक के दौरान, जिसमें आजाद जी भी मौजूद थे, प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व अराजकता फैलाने के लिए गोरक्षा को एक औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।” मोदी ने स्पष्ट किया था कि इन घटनाओं का देश की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उन्होंने राज्य सरकारों से इन अराजक व असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा था। उन्होंने इशारा किया कि इस तरह की घटनाएं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकारों के दौरान भी होती थीं। मंत्री ने कहा, “हमें इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को अलग-थलग करने के लिए साथ आना चाहिए न कि उन्हें सांप्रदायिक रंग देना चाहिए।” साभार जनसत्ता
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