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कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा में मनाया भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव, थिरके श्रद्धालु

गांव गड़हा दलथम्हन में उदय प्रताप सिंह और विनीता सिंह के पुत्र अभय प्रताप सिंह (कान्हा) एवं पुत्री साध्वी सिंह के जन्मोत्सव पर हो रहा है श्रीमद्भागवद्कथा का आयोजन 
बस्ती। निकटवर्ती गांव गड़हा दलथम्हन (महुआडाबर) निवासी कृष्ण कुमार सिंह और सूर्य प्रताप सिंह (राहुल) के निवास पर 01 मई से आरंभ हुए श्रीमद्भागवत कथा में 4 मई को वामन अवतार कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। अयोध्यावासी प्रसिद्ध कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने कहा कि संसार में हर व्यक्ति दु:खी है। कोई मन से दुखी है तो कोई तन-धन से। हमारे दुखी रहने का मुख्य कारण है हमारी अनंत इच्छाएं। क्रोध, लोभ, मोह कलियुग में मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। इसके निवारण का एक मात्र मूलमंत्र है भागवत कथा का श्रवण। भगवान गुरु का रास्ता हमेशा खुला रहता है। महाराज ने कहा कि जब कोई नहीं आता है तो मेरे श्याम आते है, दुख के दिनों में वही काम आते है। कथा में मनमोहक झांकियों के साथ महाराज ने अनेक भजन व जन्मोत्सव के बाबत रोचक प्रसंग प्रस्तुत किए, जिसे लोगों ने खूब सराहा। इस अवसर पर पूरा कथा परिसर भगवान श्री कृष्ण के जयकारों तथा नन्द के आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की जय से गूंजायमान हो उठा। विभिन्न क्षैत्र से पहुंचे श्रद्धालु भाव विभार हो कर नाचने लगे। आयोजन समिति के अनुसार बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने व आने-जाने वालों के लिए रामनिवास धाम शाहपुरा से नि: शुल्क बस सेवा का संचालन किया जा रहा है। कथा में अपने नित्य प्रवचन देते हुए श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष की महता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 84 लाख योनियां भुगतने के पश्चात मानव देह की प्राप्ति होती है तथा स्वयं भगवान भी मानव देह को पाने की कामना रखते है। इसलिए इस देह को उपयोग व्यर्थ कामों मे ना करके जनकल्याण व ईश्वर भक्ति में समर्पित कर दे। इस मौके पर भगवान श्री कृष्ण की जीवंत झाकियां सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बात लीलाओं माखनचोरी, गौचारण लीला, गोपी चीर हरण की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा गोपी ही जीव है। कृष्ण ही ईश्वर है। उन्होंने कहा कि जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। यहां पर जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे राधा-कृष्ण के उदघोष के साथ नृत्य करने लगे। उल्लेखनीय है कि उदय प्रताप सिंह और विनीता सिंह के पुत्र अभय प्रताप सिंह (कान्हा) एवं पुत्री साध्वी सिंह के शुभ जन्मोत्सव पर श्रीमद्भागवद्कथा का आयोजन किया गया है। यह कथा 8 मई तक चलेगी। कथा के आखिरी दिन यानी पूर्णाहुति के उपरांत भव्य भंडारा का आयोजन किया गया है। कथा को सफल बनाने में कृष्ण कुमार सिंह, सूर्य प्रताप सिंह, देवेन्द्र कुमार सिंह, रवि प्रताप सिंह, शिव कुमार सिंह, राजकुमार सिंह, अवधेश सिंह, सुबेदार सिंह, सुनील सिंह, रमेश सिंह, दिनेश सिंह, अमित, राहुल, धर्मवीर, अनूप, विवेक, राजेश्वर, अभिषेक, अंकित, आदित्य आदि का विशेष योगदान है।
राजीव रंजन तिवारी, फोन- 8922002003
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2 comments:

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  2. श्रीमद्भागवत कथा में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव वाला समय बहुत ही खुबसुरूरत होता है. उस समय हमे एकडम से ऐसा लगता हे जैसे स्वम भगवन आ गए हे

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