काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के वजीर अकबर खान इलाके में आज एक कार में जबर्दस्त आत्मघाती बम धमाका हुआ, जिसमें 65 लोग मारे गए और 325 घायल हो गए। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। फिलहाल धमाके की जिम्मेदारी किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली है। टीवी रिपोर्ट्स में बताया गया कि धमाका जर्मन मिशन के पास हुआ, जिसमें 50 मीटर दूरी पर स्थित भारतीय दूतावास की इमारत को भी नुकसान पहुंचा है। वहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर बताया कि जबर्दस्त धमाके के बाद भारतीय स्टाफ और राजनयिक सुरक्षित हैं। वहीं भारतीय राजदूत मनप्रीत वोहरा ने कहा, धमाके के कारण दूतावास की कुछ खिड़कियां टूट गई हैं, लेकिन स्टाफ सुरक्षित है। इस मामले में और ज्यादा जानकारी का इंतजार है।
इससे पहले 8 मार्च को काबुल स्थित अफगानिस्तान के सबसे बड़े सैन्य अस्पताल पर डॉक्टरों की भेष में आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। सुरक्षाकर्मियों संग छह घंटे चली मुठभेड़ में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी जो अफगानिस्तान में अपना असर बढ़ाने में जुटा है। इसके बाद यहां 13 मार्च को व्यस्त समय के दौरान एक बस में शक्तिशाली विस्फोट हुआ था। किसी संगठन ने इस धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली थी। यह हमला उस वक्त हुआ था, जब तालिबान ने वार्षिक बसंत उत्सव की आधिकारिक शुरुआत से पहले हमले तेज कर दिए थे। गृह मंत्रालय ने शुरुआती सूचना के आधार पर बताया था कि विस्फोट में कम से कम एक महिला की मौत हो गई और आठ लोग घायल हो गए। काबुल पुलिस के प्रवक्ता बसीर मुजाहिद ने कहा था, ‘काबुल में मिनीबस को निशाना बनाकर विस्फोट किया गया।’ 1 मार्च को भी काबुल में बम विस्फोट हुआ था। चरमपंथियों ने दो सुरक्षा परिसरों पर हमला किया था, जिनमें 15 लोग मारे गए और 38 अन्य घायल हो गए थे। अफगान गृह मंत्रालय ने बताया था कि पश्चिमी काबुल में एक आत्मघाती कार बम हमलावर ने पुलिस परिसर को निशाना बनाने का प्रयास किया और वहां गोलीबारी भी हुई थी। इस हमले के बाद आसमान में धुआं उठता दिखाई पड़ा था। मंत्रालय ने कहा था कि इस हमले के पांच मिनट बाद ही एक अन्य आत्मघाती हमलावर ने पूर्वी काबुल में अफगान खुफिया एजेंसी के भवन में गेट पर हुए खुद को उड़ा लिया था। साभार जनसत्ता
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।