लखनऊ। कई दिनों के असमंजस के बाद बिल्कुल साफ हो गया है कि नगर निगम के चुनाव इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से ही होंगे। राज्य निर्वाचन आयोग के गंभीर रुख को देखते हुए भारत निर्वाचन आयोग नगर निगम चुनाव के लिए ईवीएम उपलब्ध कराने को तैयार हो गया है। अब राज्य निर्वाचन आयोग निगम चुनाव जहां ईवीएम से कराएगा वहीं नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के चुनाव पूर्व की भांति बैलेट पेपर से होंगे। दरअसल, पिछली बार की तरह अबकी भी राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निगम के चुनाव ईवीएम से कराने के लिए पिछले वर्ष 18 अक्टूबर को भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा था। आयोग ने 10 नवंबर को प्री-2006 की एम-1 मॉडल वाली 20 हजार कंट्रोल यूनिट (सीयू) व 42 हजार बैलेट यूनिट (बीयू) मध्य प्रदेश से आवंटित तो कर दी थी लेकिन, पिछले माह जब राज्य निर्वाचन आयोग ने ईवीएम लेनी चाही तो मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि उन्हें तो आयोग के कहने पर महाराष्ट्र को दे दिया गया है। भारत निर्वाचन आयोग के इस रुख को वादा-खिलाफी मानते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने 31 मार्च को आयोग को पत्र लिखकर तत्काल 25 हजार सीयू व 50 बीयू आवंटित करने का अनुरोध किया।
गौर करने की बात यह है कि 16 दिन गुजरने के बाद भी कोई जवाब न मिलने पर सोमवार को सार्वजनिक अवकाश होने के बावजूद राज्य निर्वाचन आयोग खोला गया। राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने खुद अपनी ओर से मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी को पत्र लिखा। पत्र में अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश को आवंटित ईवीएम महाराष्ट्र को दिए जाने के बारे में न बताने का जिक्र करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त से कहा कि पूर्व में किए गए वादे का सम्मान किया जाए। आयोग जल्द से जल्द वादे को निभाए क्योंकि मई-जून में चुनाव कराने को राज्य निर्वाचन आयोग के पास तैयारियों के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। उल्लेखनीय है कि 15 अप्रैल को राज्य निर्वाचन आयुक्त के मिलने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बैलेट पेपर के बजाय ईवीएम से ही चुनाव कराए जाने पर जोर दिया था। इसे संयोग माने या राज्य निर्वाचन आयुक्त के लिखे पत्र का असर कि पत्र मेल के जरिये दिल्ली में मुख्य निर्वाचन आयुक्त तक पहुंचने के चंद घंटे बाद ही भारत निर्वाचन आयोग के अवर सचिव मधुसूदन गुप्ता का ईवीएम आवंटन संबंधी आदेश राज्य निर्वाचन आयोग के पास आ गया। अंतत: वादा निभाते हुए ईवीएम उपलब्ध कराए जाने पर भारत निर्वाचन आयोग को धन्यवाद देते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने बताया कि मध्य प्रदेश से ही ईवीएम आवंटित की गई हैं। अग्रवाल ने बताया कि मध्य प्रदेश से 50 हजार बीयू व 25 हजार सीयू मंगाने की कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिखकर पूछा गया है कि किस-किस जिले से ईवीएम उपलब्ध करायी जाएंगी।
तकरीबन पांच वर्ष पहले हुए 630 नगरीय निकाय चुनाव में पहली बार आयोग ने 12 नगर निगम के महापौर व पार्षदों का चुनाव ईवीएम से कराया था। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ईवीएम उपलब्ध कराए जाने से इस बार 14 नगर निगम के महापौर व पार्षद पद के चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल होगा। उल्लेखनीय है कि बैलेट से नगर निगम चुनाव कराने में लगभग 200 टन कागज लगता जिसके लिए आयोग ने प्रक्रिया शुरू भी कर दी थी। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि राज्य की 220 नगर पालिका परिषद व 451 नगर पंचायतों के अध्यक्षों व सदस्यों के चुनाव पहले की तरह इस बार भी मतपत्रों के जरिये ही होंगे। राज्य निर्वाचन आयोग भले ही ईवीएम से नगर निगम चुनाव कराएगा लेकिन भारत निर्वाचन आयोग का कहना है कि निकाय चुनाव या पंचायत चुनावों में उपयोग में लाए गई ईवीएम के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। नगरीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है और वह इसके लिए खुद ईवीएम खरीदते हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने पिछले निकाय चुनाव के मद्देनजर 12100 सीयू व 16730 बीयू खुद खरीद रखी हैं। गौर करने की बात यह है कि आयोग की यह ईवीएम वर्ष 2006 के बाद बनी एम-2 मॉडल वाली है इनसे वोटर वेरीफाइड पेपर आडिट ट्रेल (वीवी पीएटी) की सुविधा उपलब्ध है जबकि मध्य प्रदेश से मिलने वाली सभी मशीनें एम-1 माडल वाली होंगी जिसका इस्तेमाल भारत निर्वाचन आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव में करने के बाद बंद कर दिया है। यह ईवीएम वीवी पीएटी के अनुकूल भी नहीं हैं। ऐसे में ईवीएम पर भले ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियां सवाल उठाते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग करते रहे हैं लेकिन, भारत निर्वाचन आयोग ईवीएम से चुनाव में धांधली की आशंकाओं से सदैव इन्कार करता रहा है।
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