देहरादून। आरएसएस के पूर्व प्रचारक त्रिवेंद्र सिंह रावत भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए हैं। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 6 दिन बाद यह चुनाव किया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री पद की शपथ 18 मार्च को लेंगे। यह फैसला देहरादून में हुई बैठक में लिया गया। इसके बाद रावत ने उत्तराखंड के राज्यपाल केके पॉल से मुलाकात कर 57 विधायकों के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया। 56 साल के रावत डोईवाला विधानसभा सीट से विधायक हैं। रावत को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है और उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव में उनके साथ काम भी कर चुके हैं। रावत झारखंड भाजपा के इंचार्ज हैं। ये साल 1983 से लेकर 2002 तक संघ से जुड़े रहे हैं, इस दौरान रावत के पास पहले सचिव की जिम्मेदारी थी, उसके बाद पूरे राज्य की जिम्मेदारी इन्हें सौंप दी गई थी।
2002 में वह सबसे पहले डोईवाला सीट से जीते। इसके बाद वह लगातार तीन बार से यहां से विधायक हैं। 2007-2012 के बीच वह कृषि मंत्री भी रहे। रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व कृषि मंत्री रावत का नाम ‘बीज घोटाले’ में भी आया था। हालांकि, रावत ने दावा किया था कि कांग्रेस सरकार द्वारा कराई गई जांच में उन्हें दोषी नहीं पाया गया। रावत के हलफनामा के मुताबिक उन्होंने इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की है। इसके अलावा उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गड़वाल यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में डिप्लोमा भी किया है। साथ ही हलफनामा में कहा गया है कि उनके खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है और उनके पास एक करोड़ से ज्यादा रुपए की संपत्ति है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की रेस में सतपाल महाराज और प्रकाश पंत का नाम भी शामिल था। बता दें, भाजपा को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बहुमत मिला है। भाजपा को 70 सीटों में से 57 सीटों पर जीत हासिल हुई है। वहीं कांग्रेस पार्टी दूसरे नंबर पर रही, कांग्रेस को केवल 11 सीटों पर जीत हासिल हुई है। विधानसभा चुनाव 2017 से पहले उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी। मुख्यमंत्री हरीश रावत चुनाव में दो सीटों से चुनाव लड़े, दोनों से ही हार गए थे।
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