नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में पिछले साल फरवरी में हुए विवाद में कन्हैया कुमार के बाद एक और नाम उछला, वह नाम है उमर खालिद। इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में उसके आने पर न केवल विवाद खड़ा हुआ बल्कि छात्रों के दो गुटों के बीच जमकर झड़प भी हुई। इस बीच ‘द क्विन्ट’ को दिए एक इंटरव्यू में उमर खालिद ने कहा है कि आज की तारीख में सिस्टम और सरकार पर सवाल नहीं उठाना यानी मोदीभक्ति ही देशभक्ति का पैमाना बन गया है। खालिद ने कहा कि अगर यही पैमाना सही है, तब तो पूरा देश देशद्रोही है, सभी को कैदकर जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया जाना चाहिए। उमर ने बताया कि जब वो सिनेमा देखने सिनेमा हॉल जाते हैं तो कुछ लोग उसे नफरत भरी नजरों से देखते हैं। कुछ लोग तो कहने लगे देखो एंटी नेशनल आया है। कोर्ट पहुंचा तो कुछ वकील आतंकवादी कहकर मारने लग गए। खालिद ने बताया कि जब वो एक दिन ऑटो ले रहे थे पीछे से किसी ने चिल्लाया कि ये तो आतंकवादी है, इसे लेकर मत जाओ, वरना फंस जाओगे। उमर के मुताबिक वो बस से सफर नहीं कर सकते, ट्रेन और मेट्रो ट्रेन से भी यात्रा नहीं कर सकते क्योंकि उसे हमेशा लोग घूरते हैं। बतौर उमर लोगों का यह रवैया उन्हें विचलित करता है।
पिछले साल 23 फरवरी से 18 मार्च तक देशद्रोह और आपराधिक षडयंत्र रचने के आरोप में जेल में रह चुके उमर खालिद ने बताया कि जेएनयू विवाद के समय उसे इस्लामिक आतंकवादी के तौर पर शासन-प्रशासन ने देखा। उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या एक मुसलमान अच्छा भारतीय नहीं हो सकता? उन्होंने बाबरी विध्वंस की बात उठाते हुए कहा कि तब उनकी उम्र मात्र पांच साल थी, तब उन्होंने अपने आस-पड़ोस सभी जगह विरोध स्वरूप काले झंडे देखे थे, तब तो सभी मुसलमानों को किसी ने देशद्रोही नहीं समझा। उमर कहते हैं कि जेएनयू विवाद के समय 11 फरवरी से 23 फरवरी तक वो अपने कुछ दोस्तों के साथ छिपकर जीवन गुजार रहे थे। तब कुछ लोगों ने कहा था कि जब तुमने गलत किया ही नहीं तो फिर छिपना क्यों? कानून का सामना करो और फिर हमने कानून का सामना किया और कर रहे हैं। उमर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि जब लोग सरकार पर सवाल करना बंद कर देंगे और यही देशभक्ति का पैमाना होगा तब हम सभी लोग देशभक्त नहीं देशद्रोही कहलाना पसंद करेंगे क्योंकि वो देशभक्ति नहीं मोदीभक्ति होगी। जेएनयू कैंपस में इंटरव्यू देने से रोके जाने पर उमर ने कहा कि जब उन पर 56 केसेज और देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है तब तो कुछ हुआ नहीं। अगर आपको एक और मुकदमा करना है तो कर दो लेकिन इंटरव्यू यहीं दूंगा। खालिद कहते हैं कि यहां सड़कों पर इंसाफ होता है, जैसा दादरी में अखलाक के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि जुर्म तो बाद में साबित होगा लेकिन जब आपको मार ही देंगे तब आप अपनी बेगुनाही कैसे साबित करोगे। लिहाजा संघर्ष करना जरूरी है। साभार
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