चेन्नई। विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल के फटे कपड़े, इधर-उधर गिरी कुर्सियां, बिखरे कागज के टुकड़े और उखड़ी हुई माइकें। शनिवार को तमिलनाडु विधानसभा का नजारा किसी युद्ध के मैदान जैसा लग रहा था। नए मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी द्वारा विश्वासमत हासिल करने के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान भारी हंगामा हुआ। हालांकि, द्रमुक विधायकों को बाहर ले जाए जाने के बाद हुए मतदान में पलानीस्वामी ने विश्वासमत जीत लिया। 122 विधायकों ने उनके पक्ष में वोट डाला। सिर्फ 11 विधायकों ने सरकार के खिलाफ मतदान किया। वोटिंग के समय 133 विधायक सदन में मौजूद थे। मतदान के नतीजों की घोषणा करते हुए धनपाल ने कहा कि आज की घटनाओं से मैं दुखी और शर्मिंदा हूं।
इससे पहले जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई द्रमुक विधायकों ने गुप्त मतदान की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल को भी घेर लिया। वे विधानसभा स्थगित करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि मतदान से पहले विधायकों को अपने क्षेत्र जाकर मतदाताओं का विचार जानने का मौका मिलना चाहिए। इसके चलते लगभग एक घंटे तक विधानसभा में युद्ध के मैदान जैसा नजारा दिखा। हंगामा कर रहे द्रमुक विधायकों को स्पीकर ने सदन से निकालने का आदेश दिया। मार्शल जब उन्हें सदन से ले जाने लगे तो उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने चेतावनी दी कि यदि विधायकों को निकाला गया, तो वे मार्शलों पर हमला करने से भी बाज नहीं आएंगे। 1.28 पर विधानसभा को स्थगित किए जाने के बावजूद द्रमुक सदस्य निकलने के लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद नगर पुलिस आयुक्त एस जार्ज के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम विधानसभा परिसर पहुंच गई और स्थिति का जायजा लिया। आखिरकार मार्शलों को आदेश दिया गया कि वे द्रमुक विधायकों को जबरन निकाल दें। मार्शल जब द्रमुक विधायकों को निकालने लगे, तो उन्होंने हर संभव तरीके से इसका विरोध करना शुरू कर दिया। विश्वासमत जीतने के बाद पलानीस्वामी जयललिता की समाधि पर गए और फूट-फूटकर रोने लगे।
मरीना बीच पुलिस ने द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन और पार्टी के अन्य विधायकों को हिरासत में ले लिया है। विधानसभा से जिस तरह मार्शलों द्वारा द्रमुक के विधायकों को निकाला गया, उसके विरोध में ये लोग महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस स्टेशन से महज कुछ सौ मीटर दूरी पर प्रदर्शन कर रहे विधायकों तक पहुंचने में भी पुलिस को मशक्कत का सामना करना पड़ा। द्रमुक कार्यकर्ताओं ने पुलिस के वाहनों को जाने से रोक दिया था।
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