गोरखपुर। धरमपुर में 7 जनवरी से शुरु हुई श्रीराम कथा के दौरान आज भगवान शिव की बरात का प्रसंग सुनाया गया। प्रसंग के दौरान प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य किया। इस दौरान प्रख्यात कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने शिव बरात की कथा से सभी को भावविभोर कर दिया। किस तरह देवी पार्वती ने कड़ी तपस्या करके भगवान भोलेनाथ को पाया। उसी तरह हम लोग भी अपने शुद्ध विचार व सच्चे मन से पूजा कर भगवान को प्राप्त कर सकते हैं। श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने शिव की बरात के दौरान सुंदर भजन भी सुनाए।
उन्होंने कहा कि देवो के देव महादेव यानि भगवान शिव को पाने के लिए पार्वती को कठिन तपस्या करनी पड़ी थी। नीलकंठ भगवान शिव स्वभाव से ही काफी दयालू हैं। उक्त व्यक्यांश प्रख्यात कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने धरमपुर में चल रहे श्रीराम कथा के तीसरे दिन श्रोताओं को शिव विवाह के प्रसंग पर कथा का रसपान कराते हुए कही। उन्होंने कहा कि सती जी महाराज दक्ष की पुत्री थी तथा भगवान शंकर को पाने के लिए उन्होंने जन्म से ही कठिन तपस्या की, तब जाकर उन्हें भगवान शिव प्राप्त हुए।
उन्होंने चौपाई के माध्यम से कहा कि ‘सती मरत हरिसन वर माँगा, जनम-जनम शिव पद अनुरागा’, तेहि कारण हिम गिरी गृह जाई, जनमी पार्वती तन पाई।’ उन्होंने कहा कि भगवान शिव के बारात में देव से लेकर असुर तक पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव-जन्तु शामिल हुए थे। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि भगवान राम से विमुक्त होना आकाल मृत्यु का कारण बनता है। इसलिए भगवान राम के प्रति श्रद्धाभाव और पूजन पाठ अवश्य होना चाहिए।
कार्यक्रम में पूरे भावभक्ति से रामदास जी आचार्य गोलू ने पूजन पाठ किया। तत्पश्चात उनके साथ सुंदर साज-बाज लेकर अमित त्रिपाठी (आर्गन), संतोष जी (तबला), दीपक जी (ढोलक) ने कर्णप्रिय कला का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में राकेश मिश्र, डा.लाल बहादुर पाण्डेय (डा.एलबी पाण्डेय), डा.टीएन पाण्डेय, एडवोकेट शशिभूषण त्रिपाठी आदि का विशेष योगदान रहा। यहां श्री राम कथा 15 जनवरी तक चलेगा उसके बाद भव्य भंडारे का आयोजन होगा।
उन्होंने कहा कि देवो के देव महादेव यानि भगवान शिव को पाने के लिए पार्वती को कठिन तपस्या करनी पड़ी थी। नीलकंठ भगवान शिव स्वभाव से ही काफी दयालू हैं। उक्त व्यक्यांश प्रख्यात कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने धरमपुर में चल रहे श्रीराम कथा के तीसरे दिन श्रोताओं को शिव विवाह के प्रसंग पर कथा का रसपान कराते हुए कही। उन्होंने कहा कि सती जी महाराज दक्ष की पुत्री थी तथा भगवान शंकर को पाने के लिए उन्होंने जन्म से ही कठिन तपस्या की, तब जाकर उन्हें भगवान शिव प्राप्त हुए।
उन्होंने चौपाई के माध्यम से कहा कि ‘सती मरत हरिसन वर माँगा, जनम-जनम शिव पद अनुरागा’, तेहि कारण हिम गिरी गृह जाई, जनमी पार्वती तन पाई।’ उन्होंने कहा कि भगवान शिव के बारात में देव से लेकर असुर तक पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव-जन्तु शामिल हुए थे। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि भगवान राम से विमुक्त होना आकाल मृत्यु का कारण बनता है। इसलिए भगवान राम के प्रति श्रद्धाभाव और पूजन पाठ अवश्य होना चाहिए।
कार्यक्रम में पूरे भावभक्ति से रामदास जी आचार्य गोलू ने पूजन पाठ किया। तत्पश्चात उनके साथ सुंदर साज-बाज लेकर अमित त्रिपाठी (आर्गन), संतोष जी (तबला), दीपक जी (ढोलक) ने कर्णप्रिय कला का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में राकेश मिश्र, डा.लाल बहादुर पाण्डेय (डा.एलबी पाण्डेय), डा.टीएन पाण्डेय, एडवोकेट शशिभूषण त्रिपाठी आदि का विशेष योगदान रहा। यहां श्री राम कथा 15 जनवरी तक चलेगा उसके बाद भव्य भंडारे का आयोजन होगा।
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