नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के बाद पहली बार मंगलवार को नीति आयोग की बैठक में अर्थशास्त्रियों और अन्य विशेषज्ञों के साथ बैठक में हिस्सा लिया। इस चर्चा का विषय 'आर्थिक नीति आगे का रास्ता' रखा गया था। इस चर्चा में भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने अर्थव्यवस्था से जुड़े कई विषयों जैसे कृषि, कौशल विकास और रोजगार के अवसर, कर और शुल्क संबंधी विषय, गृह निर्माण, शिक्षा, डिजिटल तकनीक, पर्यटन, बैंक व्यवस्था, शासन व्यवस्था सुधार, डेटा संबंधी नीति और आर्थिक बढ़ोत्तरी के लिए आगे उठाए जाने वाले क़दमों पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने भाग लेने वालों का उनके सुझावों के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कौशल विकास और पर्यटन के क्षेत्र में नई पहल करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने बजट चक्र के बारे में विस्तार से बात रखी। उन्होंने कहा कि इसका वास्तविक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा बजट कैलेंडर में बजट ख़र्च के लिए संसद की मंज़ूरी मानसून की शुरुआत के समय मिलती है। इससे मानसून के पहले के महीनों में सरकारी कार्यक्रमों में सुस्ती होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए बजट को पहले लाया जा रहा है ताकि नए बजट वर्ष की शुरुआत तक ख़र्च को मंज़ूरी मिल सके। बैठक के बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि बैठक में बजट संबंधी मुद्दों पर भी चर्चा की गई। कर कम कैसे किए जाए इस पर भी विशेषज्ञों ने कई सुझाव दिए।
2022 तक खेती से आमदनी दोगुनी कैसे की जाए, इस पर भी कई सुझाव आए। इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, योजना राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया और केंद्र सरकार तथा आयोग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में प्रोफ़ेसर प्रवीण कृष्ण, प्रो सुखपाल सिंह, विजय पाल शर्मा, नीलकंठ मिश्रा, सुरजीत भल्ला, पुलक घोष, गोविंद राव, माधव चव्हाण, एनके सिंह, विवेक दहेजिया, प्रमथ सिन्हा, सुमित बोस और टीएन नीनान ने हिस्सा लिया।
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