वाशींगटन। अमरीका की अगली सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के मुसलमानों और उनके पवित्र स्थलों के विरुद्ध बयान के वीडियो जारी होने से मुसलमानों में काफ़ी रोष पाया जाता है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार अमरीका की अगली सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ़िलेन ने एक बयान में पैग़म्बरे इस्लाम और पवित्र क़ुरआन के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। उनका यह वीडियो जल्द ही जारी हुआ है। अमरीकी सेना के सेवानिवृत्त जनरल माइकल फ़िलेन को अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त करने की घोषणा की है। वह इस्लाम के बारे में बहुत कट्टरपंथी विचारधारा रखते हैं और उन्होंने अपने एक बयान में पैग़म्बरे इस्लाम (स) और पवित्र क़ुरआन को मध्यपूर्व और मानवता के नवीनीकरण के लिए सबसे बड़ी बाधा बताया था। फ़िलेने इससे पहले इस्लाम धर्म को कैंसर से संज्ञा दे चुके हैं।
इस रिपोर्ट के आधार पर फ़िलेन के ताज़ा जारी होने वाले वीडियों में दिखाया गया है कि वह पैग़म्बरे इस्लाम और पवित्र क़ुरआन का अनादार करते हुए दावा करते हैं कि मुस्लिम समाज कभी भी आधुनिक नहीं हो सकता। उनका कहना था कि मुस्लिम समाज को आधुनिक होने की आवश्यकता है। वे अधिकतर इस्लाम में फेर बदल और उसको परिवर्तित करने की मांगें कर चुके हैं। ट्रंप सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस्लाम धर्म के नियमों को अमरीकी क़ानून के लिए बहुत बड़ा ख़तरा समझते हैं। उनका कहना था कि मुसलमान, दुनिया में एक ऐसी व्यवस्था को इस्लामी दृष्टिकोणों के आधार पर जो आस्था की स्वतंत्रता में रुकावट, चुनाव और अन्य स्वतंत्रताओं का विरोधी है, थोपना चाहते हैं। शरीआ क़ानून एक कठोर क़ानून है जिसमें कट्टरपंथी आस्थाएं छिपी हुई हैं। (http://parstoday.com/hi/news/world-i30799)
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