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तब कहीं जा के कोई ताजमहल बनता है
उद्घाटन के मौके पर मेयर डा.सत्या पाण्डेय ने कहा था कि जब मैंने ‘जी वेव स्टूडियो’ को देखा और समझा तो मुझे पूर्वांचल के ही एक शायर खामोश गाज़ीपुरी का एक शेर याद आया- ‘जब शहंशाह भी हो, इश्क भी हो, दौलत भी, तब कहीं जा के कोई ताज़महल बनता है’। कहा कि पूर्वांचल में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। गोरखपुर में ही फ़िराक़ गोरखपुरी जैसे विख्यात शायर हुए, जिन्हें दुनिया जानती है। यहां गायन प्रतिभाओं या नाटक कलाकारों की भी कोई कमी नही है। सब अपनी कला के बादशाह हैं। उनमें इश्क भी है। यहां इश्क का वो मतलब नहीं है जो आप समझ रहे हैं। इश्क से मेरा मतलब जुनून से है। यानी कला के प्रति जुनून भी है और पैसा भी वो खर्च कर सकते हैं बावजूद इसके ताज़महल नही बन पाता। यानी यहां के कलाकार गुमनाम रह जाते हैं। उनकी देश में पहचान नहीं बन पाती। कारण, उनके पास अपनी कला को प्रस्तुत करने की आधुनिक तकनीक नहीं है। इसीलिये जब अरुणेष नारायन ने मुझे बताया कि वे गोरखपुर में अत्याधुनिक उपकरणों के साथ ये डिजिटल रिकार्डिंग स्टूडियो आरम्भ कर रहे हैं तो मैं उत्सुकतावश अपने को यहां आने से रोक नहीं सकी। गोरखपुर के इस रिकार्डिंग स्टूडियो का फायदा नेपाल और बिहार के कलाकारों को भी पहुंचेगा, जो अभी तक नोएडा-मुम्बई जा कर रिकार्डिंग कराते थे।
अरुणेश ने बताया कि क्या है एनालॉग
जी वेव स्टूडियो’ के संस्थापक साउण्ड इन्जीनियर अरुणेष नारायण ने बताया कि आज गानों की रिकार्डिंग की तकनीक बदल चुकी है। पहले डिजिटल रिकार्डिंग बेहतर समझी जाती थी अब एनालॉग टेक्नालॉजी ने डिजिटल रिकार्डिंग को पीछे छोड़ दिया है। अभी तक गोरखपुर के कलाकारों को डिजिटल रिकार्डिंग से ही संतोष करना पड़ता था क्योंकि एनालॉग टेक्नालॉजी मुम्बई दिल्ली में ही उपलब्ध थी। पर अब न केवल गायक कलाकारों को बल्कि भोजपुरी फिल्म/एलबम निर्माताओं को भी एनालॉग टेक्नालॉजी ने ऑडियो रिकार्डिंग की सुविधा जी-वेव स्टूडियो प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि हिंदी में एनालॉग को अनुरूप और डिजिटल को अंकीय सिंग्नल कहते हैं। दोनों ही सिगनलों का इस्तेमाल विद्युत सिग्नलों के जरिये सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने के लिए किया जाता है। दोनों में फर्क यह है की एनालॉग तकनीक में सूचना विद्युत स्पंदनों के जरिये आती है, जबकि डिजिटल तकनीक में सूचना बाइनरी फॉर्मेट (शून्य और एक ) में बदली जाती है। कंप्यूटर बायनरी संकेत ही समझाता है। एनालॉग ऑडियो या वीडियो में वास्तविक आवाज या चित्र अकिंत होता है। पुराने रिकार्ड्स प्लेयर में जब सुई ऐसी जगह आती थी, जहां आवाज में झटका लगता हो तो वह आवाज बिगड़ती थी। अनुरूप अभिकलित्र या एनालॉग कम्प्यूटर एक ऐसा विद्युत परिपथ होता है जो अनेक समस्याओं का समाधान करता है। उदाहरण के लिये यह किसी संकेत का समाकलन करके आउटपुट देगा या किसी संकेत का अवकलन कर सकता है आदि। इनमें निवेश एवं आउटपुट सभी सतत चर के रूप में होते हैं। अनुरूप संगणक यांत्रिक, हाइड्रालिक इलेक्ट्रानिक या अन्य प्रकार के हो सकते हैं।
आशीर्वचन को दो शब्द
वरिष्ठ गीतकार राजेश राज ने कहा कि आज विभिन्न चैनलों पर ‘टेलेण्ट हण्ट’ के तमाम कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिये कलाकारों को अपनी गायकी का नमूना भेजना होता है। ज़हिर सी बात है पहला इम्प्रेशन आपकी ऑडियो क्लिप से ही पड़ता है। इसलिये प्रतिस्पर्द्धा के दौर में आगे निकलने के लिये आपके पास आधुनिक तकनीक होनी चाहिये। जी-वेव स्टूडियो नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने में रियायती दर पर सहयोग करेगा। लोकप्रिय भजन गायक नन्दू मिश्रा ने इस स्टूडियो का गोरखपुर के लिये एक उपलब्धि बताया। आकाशवाणी की कार्यक्रम अधिशासी डा.राजश्री बनर्जी ने कहा कि एनालॉग टेक्नालॉजी पर आधारित रिकार्डिंग स्टूडियो का गोरखपुर में होना वास्तव में एक बड़ी बात है जिसका फायदा पूर्वांचल की प्रतिभाओं को मिलेगा। इस अवसर पर स्टूडियो के सहयोगी आकाश वर्मा, नितिन मिश्रा, अदीश श्रीवास्तव, प्रखर श्रीवास्तव के अतिरिक्त हरीन्द्र श्रीवास्तव, शिव कुमार, सुनीता श्रीवास्तव, रवि राय, प्रवीर आर्या सहित तमाम बुद्धिजीवी, कलाकार व पत्रकार उपस्थित थे।
हम होंगे कामयाब
स्टूडियो के सहयोगी आकाश वर्मा, नितिन मिश्रा, अदीश श्रीवास्तव व प्रखर श्रीवास्तव ने कहा कि जिस तरह स्टूडियो का तेजी से प्रचार-प्रसार हो रहा है, इससे यह प्रतीत हो रहा है कि हम अवश्य कामयाब होंगे। हौसले से परिपूर्ण इन युवकों ने कहा कि स्टूडियो की आधुनिक शैली लोगों को बेहद पसंद आ रही है। यही वजह है कि इसकी लोकप्रियता तेजी से नवोदित कलाकारों व प्रोफेसनल्स के बीच बढ़ रही है। उम्मीद है, भविष्य में इसमें और इजाफा होगा।
(विज्ञापन/इम्पैक्ट फीचर)
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